लखनऊ: केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 सितंबर को भारत बंद किया. लेकिन इस बंध का देश के अन्य राज्यों के साथ उत्तर प्रदेश में भी कोई खास असर देखने को नहीं मिला. राजधानी दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद में बंद का मिलाजुला असर रहा. आम लोगों को दिल्ली की सीमाओं पर जरूर जाम की स्थिति का सामना करना पड़ा, क्योंकि आंदोलनरत किसान ने रास्तों को ब्लॉक कर दिया था.
पश्चिमी यूपी में आंशिक असर
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भारतीय किसान यूनियन के से जुड़े किसान भले ही सड़कों पर उतरे, लेकिन दुकानें तथा अन्य प्रतिष्ठान खुले रहे. बागपत, सहारनपुर, शामली व मुजफफनगर के साथ किसानों के आंदोलन की स्थली गाजियाबाद में किसानों ने प्रदर्शन किया. आगरा, मथुरा व आसपास के जिलों में संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद का कोई असर नहीं रहा. यहां पर अन्य दिनों की तरह बाजार खुले रहे. सुरक्षा व्यवस्था न बिगड़े इसके लिए एहतियातन पुलिस जरूर तैनात रही.
सेंट्रल यूपी में बेअसर रहा बंद
बरेली मंडल में भारत बंद का असर नहीं दिखा. बरेली के अलावा बदायूं में न तो कहीं कोई प्रदर्शन देखने को मिला ना ही किसी ने जिला प्रशासन को कोई ज्ञापन सौंपा. पीलीभीत के माधोटांडा व शाहजहांपुर के बंडा में कुछ प्रदर्शनकारी एकत्र हुए. बाकी जगह बाजार सामान्य दिनों की तरह खुले रहे. इसी तरह अलीगढ़ व मुरादाबाद मंडल में भी भारत बंद का कहीं पर कोई प्रभाव नहीं दिखा. कानपुर के साथ ही झांसी तथा प्रयागराज मंडल में भी लोगों की दिनचर्या सामान्य रही.
अवध व पूर्वांचल में असरहीन
कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों के भारत बंद का अवध क्षेत्र के साथ ही पूर्वांचल में भी कोई असर नहीं रहा. उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों ने आंदोलनरत किसान संगठनों के भारत बंद का समर्थन किया. लेकिन प्रदेश के व्यापारी संगठनों व उद्योग जगत ने इससे किनारा किया. योगी आदित्यनाथ सरकार इस विरोध की आड़ में किसी भी अवांछित प्रक्रिया से निपटने के लिए तैयार दिखी. विपक्षी दलों के कार्यकर्ता किसानों के भारत बंद की आड़ में उपद्रव न मचाएं इसके लिए योगी सरकार ने भी सभी जगहों पर सुरक्षा-व्यवस्था चाक-चौबंद कर रखी थी.