नई दिल्ली, 25 सितम्बर 2021
भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि बालाकोट और गलवान में भारत की कार्रवाई सभी हमलावरों के लिए स्पष्ट संकेत है कि संप्रभुता को खतरे में डालने के किसी भी प्रयास का त्वरित और मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। नेशनल डिफेंस कॉलेज के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए, सिंह ने कहा, “हम यथास्थिति को चुनौती देने, आतंकवाद को सीमा पार समर्थन और हमारे पड़ोस में हमारी सद्भावना और पहुंच का मुकाबला करने के लिए बढ़ते प्रयासों को चुनौती देते हुए अपनी भूमि सीमाओं पर युद्ध का सामना कर रहे हैं।”
गलवान घाटी में, चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने एकतरफा यथास्थिति बदल दी’ थी, जिसके कारण 15 जून, 2020 को दोनों देशों की सेना के बीच झड़पें भी हुईं। झड़प में भारत ने अपने 20 सैनिकों जबकि चीन ने चार सैनिकों को खो दिया। भारत और चीन के बीच पिछले 16 महीने से सीमा विवाद चल रहा है। गलवान घाटी में संघर्ष के बाद दोनों देशों ने सैन्य और राजनयिक वार्ता के माध्यम से सीमा पर तनाव को कम करने की कोशिशें की हैं।
26 फरवरी, 2019 को, भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने नियंत्रण रेखा पार की और पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी लॉन्च पैड को नष्ट कर दिया। पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने पर इस घटना का बदला लेने के लिए भारत के युद्धक विमानों ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के शिविर पर हमला किया था।
सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत सभी देशों के बीच शांति और सद्भावना के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, लेकिन अपनी आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के लिए खतरा अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “सुरक्षा के ²ष्टिकोण से, राष्ट्र और हमारी सेना इस बात से पूरी तरह अवगत हैं कि भविष्य की सैन्य रणनीतियों और प्रतिक्रियाओं के लिए हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए हमारे सशस्त्र बलों के सभी तत्वों के बीच सक्रिय तालमेल की आवश्यकता होगी।”
सिंह ने कहा कि जहां पारंपरिक खतरा बना हुआ है, वहीं ग्रे-जोन खतरों को भविष्य की चुनौतियों का अनुमान लगाने और उन्हें कम करने के लिए राष्ट्र सत्ता के सभी तत्वों के साथ एक ऑल ऑफ गवर्मेट ²ष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “ये न केवल दीर्घकालिक वित्तीय लागत पर आते हैं, बल्कि हमारे अपने उद्योग की बौद्धिक पूंजी को भी कमजोर करते हैं। कोई भी देश जो ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित होने की इच्छा रखता है, वह रक्षा आयात पर इस तरह की निर्भरता को बनाए नहीं रख सकता है।”
आत्मनिर्भरता के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि एक पहलू जहां ज्ञान और बुद्धिमता दोनों मेल खाते हैं, वह है आत्मनिर्भरता की तलाश और इसे हासिल करने की क्षमता। भारत बहुत लंबे समय तक आयात संचालित प्रौद्योगिकियों पर निर्भर रहा है।
उन्होंने संघर्षों के बदलते स्वरूप की ओर भी इशारा किया। मंत्री ने कहा, “साइबर, स्पेस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा एनालिटिक्स कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो इस संदर्भ में तेजी से एनेबलर्स के रूप में उभर रहे हैं। दुनिया ने वैज्ञानिक ज्ञान के इन सभी क्षेत्रों में तेजी से बदलाव देखा है।”
सिंह ने कहा, “यह वह जगह है जहां एनडीसी जैसे संस्थानों की भूमिका फिर से सामने आती है।”
उन्होंने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (दुनिया एक परिवार है) के विचार के बारे में भी बात की। सिंह ने कहा, “एक परिवार के रूप में दुनिया का यह विचार न केवल एक वैश्वीकृत दुनिया में सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रासंगिक है, बल्कि यह केवल देश और विश्व स्तर पर संघर्षों के लिए एक एकीकृत ²ष्टिकोण बनाने की तत्काल आवश्यकता को भी सु²ढ़ कर सकता है। आतंकवाद के खिलाफ हो या साइबर चुनौतियों के खिलाफ, हमारी राष्ट्रीय विविधताओं को एकजुट करने से ही सफलता मिल सकती है।”