चंपावत, 17 सितम्बर 2021
देश के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मश्री के लिए प्रशासन ने पहली बार चंपावत ज़िले से किसी महिला का नाम नामांकित कर गृह मंत्रालय को भेजा है. चंपावत के ज़िला बनने के 23 सालों के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि यहां से कोई नाम इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए नामांकित किया गया हो. अस्ल में, मई के महीने में केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन राज्यों से मांगे थे, जिनके तहत 26 जनवरी 2022 को मिलने वाले पद्म श्री अवॉर्ड के लिए ज़िला प्रशासन ने रीता गहतोड़ी का नाम प्रस्तावित किया है, जो 2013 में उत्तराखंड के सबसे बड़े तीलू रौतेली पुरस्कार की विजेता रह चुकी हैं.
कौन हैं रीता और क्या उपलब्धियां हैं उनके नाम?
रीता गहतोड़ी राज्य में सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाला जाना पहचाना नाम हैं. चंपावत ज़िले में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान की ब्रांड एंबेसडर भी हैं. रीता सर्वप्रथम 2008 में एक अफगानिस्तानी नागरिक साबरा को न्याय दिलाने में मदद करने के बाद सुर्खियों में आई थीं. मूल रूप से लोहाघाट स्थित चांदमारी की रहने वाली रीता दूसरी बार उस समय सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने 2012 में सामाजिक वर्जनाएं तोड़ते हुए अपने पिता हीरावल्लभ गहतोड़ी की अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट में मुखाग्नि दी थी. वह हर साल पिता का श्राद्ध भी खुद करती हैं.
पद्म पुरस्कार के लिए चंपावत से पहली बार कोई नाम प्रस्तावित किया गया.
सामाजिक परंपराओं को तोड़ने वाली रीता वाल्मीकि समाज के लोगों के उत्थान के लिए अब भी कार्य कर रही हैं. कोरोना काल के दौरान कोविड मरीज़ों की देखरेख में उन्होंने जिस तरह योगदान दिया, उसके सम्मान में पुलिस ने उन्हें कोरोना वॉरियर का दर्जा दिया. वर्तमान में वह किशोर न्याय बोर्ड और कोविड टास्क फोर्स की सदस्य भी हैं.
ऐसे भेजा गया रीता के नाम का प्रस्ताव
26 जनवरी को दिए जाने वाले पद्म पुरस्कारों के लिए गृह मंत्रालय से प्रति वर्ष आवेदन मांगे जाते हैं. इस साल 27 मई को गृह मंत्रालय ने सभी प्रदेशों से इसके लिए चिन्हित लोगों की सूची मांगी थी. इसके संबंध में डीएम ने पुलिस व स्थानीय प्रशासन से जांच कराने के बाद रीता के नाम का आवेदन प्रशासन द्वारा संस्तुति करते हुए गृह मंत्रालय को भेज दिया है.