लखनऊ, 8 सितम्बर 2021
यूपी की अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में शामिल जातियों के नाम के आगे उनकी उप जाति या टाइटिल अंकित नहीं किया जाएगा। 79 जातियों की इस सूची में शामिल ओबीसी जाति का मूल नाम ही अंकित रहेगा। यह निर्णय बुधवार को आयोग की बैठक में लिया गया। आयोग के अध्यक्ष जसवंत सैनी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में फकीर जाति के प्रतिनिधियों की तरफ से दिये गये एक प्रतिवेदन पर विचार किया गया। इस प्रतिवेदन में फकीर जाति के आगे, साई, शाह, अलवी टाइटिल अंकित किये जाने का अनुरोध किया गया था। सूची में फकीर जाति क्रमांक 30 पर अंकित है। आयोग के चेयरमैन जसवंत सैनी ने कहा कि आयोग का काम मूल जाति को सूची में शामिल करना है,मूल जाति की उपजाति या उपनाम अंकित करना आयोग का काम नहीं है।
चेयरमैन जसवंत सैनी ने कहा कि इसी महीने आठ अन्य जातियों को ओबीसी की सूची में शामिल किये जाने पर अंतिम सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होगी। इस बाबत जल्द ही समाचार पत्रों में आपत्ति व सुझाव आमंत्रित करने के लिए विज्ञापन प्रकाशित करवाया जाएगा। यह जातियां हैं-बागबान, गोरिया, महापात्र ब्राम्हण, रूहेला, मुस्लिम भांट, पंवरिया-परमरिया, सिख लवाणा और उनाई साहू। प्रदेश के सरकारी विभाग, निगमों, सार्वजनिक उपक्रमों में आउटसोर्सिंग से होने वाली भर्तियों में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ ओबीसी अभ्यर्थियों को नहीं मिलने की बढ़ती शिकायतों को भी आयोग ने गम्भीरता से लिया है।
आयोग ने तय किया है कि आउटसोर्सिंग की भर्ती में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ ओबीसी अभ्यर्थियों को न दिये जाने के जिम्मेदार अफसरों व अन्य कार्मिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा यह भी तय किया गया कि ओबीसी जातियों के उत्पीड़न के मामलों को आयोग गम्भीरता से लेगा और किसी भी सूरत में ओबीसी जातियों का किसी भी तरह का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे मामलों में दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।