जेनेवा, 5 सितम्बर 2021
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) ने तालिबान द्वारा युद्धग्रस्त राष्ट्र के अधिग्रहण के बाद पाकिस्तान और ईरान की सीमा पार करने की कोशिश कर रहे अफगान शरणार्थियों की एक बड़ी आमद नहीं देखी है और इसके पीछे के कारणों का विश्लेषण किया जा रहा है। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने शुक्रवार को अपनी एक रिपोर्ट में यूएनएचसीआर के प्रवक्ता बाबर बलूच के हवाले से कहा कि दरअसल अफगानिस्तान के अंदर विस्थापन का संकट हो रहा है।
हालांकि, अफगानिस्तान के अंदर और साथ ही पड़ोसी देशों की सीमाओं पर अनिश्चित स्थिति के बारे में जानकारी जुटाना मुश्किल है।
प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान व्यापार और समर्थन प्रवाह के बिना एक बड़े संकट का सामना कर सकता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्थिति से आंखें नहीं मूंदनी चाहिए।
बलूच के अनुसार, परंपरागत रूप से अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान के बीच हमेशा लोगों की आवाजाही और वाणिज्यिक प्रवाह रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में, अफगान अभी भी आने में सक्षम हैं, लेकिन उन्हें आईडी दस्तावेज और वीजा दिखाना होगा।
संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अफगानिस्तान की लगभग आधी आबादी या 1.8 करोड़ लोगों को जीवित रहने के लिए मानवीय सहायता की आवश्यकता है।
स्थिति यह है कि तीन में से एक अफगान को यह नहीं पता कि उनका अगले समय का भोजन कहां से आएगा, जबकि पांच वर्ष से कम आयु के आधे से अधिक बच्चों के अगले वर्ष गंभीर रूप से कुपोषित होने की आशंका है।
यूएनएचसीआर के अनुसार, अफगानी दुनिया भर में सबसे बड़ी शरणार्थी आबादी में से एक हैं।
दुनिया में 26 लाख पंजीकृत अफगानी शरणार्थी हैं, जिनमें से 22 लाख अकेले ईरान और पाकिस्तान में पंजीकृत हैं।
अन्य 35 लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हैं, जो देश के भीतर शरण की तलाश में अपने घरों से भाग गए हैं।
तेजी से बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को देखते हुए, भागने वालों की संख्या में वृद्धि जारी रहने की संभावना है।