देहरादून, 2 जुलाई 2021

राज्यमंत्री रेखा आर्या और अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के बीच का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है.

रेखा आर्या के जरिए स्वास्थ्य सचिव को मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को हटाए जाने का पत्र लिखने के बाद अब जहां रेखा आर्या विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आ गई हैं, वहीं खुद सत्ता पक्ष के विधायक उनकी इन हरकतों को बचकानी बता रहे हैं.

बता दें कि यह पूरा विवाद कोविड़ प्रभारी मंत्री रेखा आर्या के जरिए 11 जून को अल्मोड़ा के विकास भवन में अधिकारियों के साथ कोविड़-19 की समीक्षा बैठक दौरान उपजा. बैठक में मौजूद अल्मोडा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल आर जी नौटियाल को अल्मोड़ा से बीजेपी के विधायक और उत्तराखंड सरकार में विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान का फोन आ गया. जिसको प्रिंसिपल नौटियाल ने रिसीव कर लिया, लेकिन प्रिंसिपल के जरिए बैठक के बीच में ही फोन उठाना रेखा आर्या को नागवार गुजर गया. यहीं से यह विवाद बढ़ता गया. जिसके बाद पिछले दिनों रेखा आर्या ने स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग कर डाली.

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने साधा रेखा आर्या पर निशाना

यह विवाद अब तूल पकड़ने लगा है. जिस पर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस हालांकि अभी तक खामोश है, लेकिन उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने रेखा आर्या पर निशाना साधा है. उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी का कहना है कि यह बड़ा दुर्भाग्य है कि अपने क्षेत्र में माफियाओं को संरक्षण देने वाली मंत्री आज ईमानदार लोगों को प्रोटोकॉल का पाठ पढ़ा रही हैं, जबकि प्रोटोकॉल का पालन मंत्री और सरकार को करने की जरूरत है.

 

तिवारी कहते हैं कि जो मेडिकल कॉलेज को बनाने के कार्य मे जुटे हैं, मंत्री उन्हीं को हटाने की कोशिश में जुटी हैं. वहीं उन्होंने अधिकारियों की मीटिंग में बीजेपी कार्यकर्ताओं की उपस्थिति पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि बैठक में या तो सभी पार्टियों के कार्यकर्ता हो या फिर किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता मौजूद नहीं होने चाहिए. यह अपने कार्यकर्ताओं को बैठकों में ले जाकर ठेके दिखवाने की चाल है. इस कदाचार में मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए.

विधानसभा उपाध्यक्ष ने बताया बचकानी हरकत

वहीं इस मामले में सत्ताधारी दल के विधायक और विधानसभा के उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान का कहना है कि एक छोटे से मामले का बतंगड़ बनाना बचकानी हरकत है. उनका कहना है कि उनके जरिए बतौर विधानसभा उपाध्यक्ष सदन से यह निर्देश दिए गए हैं कि आम जनता हो या फिर जन प्रतिनिधि अधिकारियों को उनका फोन उठाना चाहिए. उस दिन भी उनके विधानसभा क्षेत्र में किसी की तबियत खराब होने से उसको अस्पताल में भर्ती करना था. जिस कारण उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को फोन किया था.

उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने फोन उठाकर यह कहा कि वह मंत्री जी की बैठक में हैं, बाद में बात करेंगे. यह वार्तालाप मुश्किल से 3 से 4 सेंकड तक चला. अगर इतनी सी बात का बतंगड़ बनाया जा रहा है तो यह सरासर बचकानी हरकत है. अगर यही फोन उनकी तरफ से किया जाता और अगर कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं उठता तो, यह सोचनीय है.