प्रयागराज, 15 जून 2021
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नाबालिग पति की कस्टडी उसकी बालिग पत्नी को इस आधार पर देने से इनकार कर दिया है कि उनका विवाह गलत था और ऐसा करने की अनुमति देना एक बालिग और एक नाबालिग के बीच समान रूप से स्वीकृत करने के समान होगी।
पति की उम्र 16 वर्ष है और वो अपनी मां के साथ रहने को तैयार नहीं था। अदालत ने भी उसे मां की कस्टडी में नहीं भेजा।
अदालत ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि नाबालिग के 4 फरवरी, 2022 को वयस्क होने तक उसके आश्रय गृह जैसी राजकीय सुविधा में रहने की व्यवस्था की जाए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 4 फरवरी, 2022 के बाद वह अपनी पत्नी सहित किसी के भी साथ रह सकता है।
न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर ने आजमगढ़ के मूल निवासी लड़के की मां द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए आदेश पारित किया, जिसने अपने बेटे की कस्टडी लेने का दावा किया था।
याचिकाकर्ता मां ने दलील दी कि नाबालिग लड़के को बालिग लड़की से शादी करने का कानूनी हक नहीं है और कानून के अनुसार शादी अमान्य है।
इससे पहले लड़के को इस मामले में 18 सितंबर 2020 को कोर्ट में पेश किया गया था। अदालत ने उसके बयान को दर्ज करते हुए कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि लड़का अपनी पत्नी या अन्य प्रतिवादियों के साथ रहने के लिए किसी भी तरह के दबाव में नहीं था। या उसे जबरन पकड़कर रखा गया था, और ना ही ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि उसे बहकाया गया था।”
हालांकि, अदालत ने नाबालिग लड़के के अनुरोध को खारिज कर दिया कि उसे अपनी पत्नी के साथ रहने की अनुमति दी जाए। पत्नी ने नाबालिग लड़के के बच्चे को भी जन्म दिया है।
अदालत ने कहा, अगर लड़का अपनी पत्नी के साथ रहता है तो पॉक्सो अधिनियम एक नाबालिग लड़के को एक वयस्क लड़की के साथ रहने को अपराध बनाता है, तो इसे निश्चित रूप से लगाया जाएगा।
कोर्ट ने 31 मई 2021 को फैसला सुनाया था लेकिन इसे सोमवार को वेबसाइट पर अपलोड किया गया।