नई दिल्ली, 12 जून 2021
कोविड-19 के इलाज के लिए आवश्यक वस्तुओं और दवाओं पर कम शुल्क लगाने की मांग के बीच, जीएसटी परिषद ने शनिवार को कई कोविड-राहत वस्तुओं की दरों को मौजूदा 12 से 18 प्रतिशत के स्तर से घटाकर पांच प्रतिशत करने का फैसला किया। हालांकि परिषद ने वैक्सीन को लेकर कर की दर को पांच प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
जीएसटी परिषद की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि परिषद ने मंत्रिसमूह (जीओएम) की सिफारिशों के साथ जाने के लिए सहमति व्यक्त की है, जो शनिवार को परिषद में एकल बिंदु एजेंडा रहा।
उन्होंने कहा कि विभिन्न कोविड राहत चिकित्सा वस्तुओं पर कर की दर कम कर दी गई है, जबकि टीकों पर 5 प्रतिशत जीएसटी दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सीतारमण ने स्पष्ट किया कि वैक्सीन की दरों में कोई बदलाव नहीं किए जाने पर भी आम लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि टीकाकरण मुफ्त में उपलब्ध कराया जा रहा है।
बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार 75 प्रतिशत वैक्सीन खरीद रही है और उस पर जीएसटी भी भर रही है। लोगों को सरकारी अस्पतालों में जो ये 75 प्रतिशत वैक्सीन फ्री में उपलब्ध कराई जा रही है, जनता पर उसका कोई असर नहीं होगा।
कोविड राहत उपायों के हिस्से के रूप में, जीएसटी परिषद की 44वीं बैठक में रेमडेसिविर इंजेक्शन पर जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत और मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन पर टैक्स 5 प्रतिशत निर्धारित कर दिया गया है।
परिषद ने ब्लैक फंगस के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की दरों को भी घटाकर शून्य स्तर पर ला दिया है। यानी ब्लैक फंगस की बीमारी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा।
विशेष शुल्क में कटौती 30 सितंबर, 2021 तक लागू रहेगी।
सीतारमण ने कहा कि हालांकि जीओएम ने अगस्त तक दरों में कटौती की सिफारिश की थी, मगर परिषद ने इसे सितंबर के अंत तक रखने का फैसला किया है। इसके बाद फैसला किया जाएगा कि उन जरूरी वस्तुओं की दरों में कटौती को विस्तार दिए जाने की आवश्यकता है या नहीं।
उन्होंने कहा कि कोरोना टीकों पर 5 प्रतिशत जीएसटी रहेगा। केंद्र घोषणा के अनुसार, 75 प्रतिशत वैक्सीन खरीदेगा और उसका जीएसटी भी चुकाएगा, लेकिन जीएसटी से होने वाली आमदनी का 70 प्रतिशत राज्यों के साथ साझा किया जाएगा।
एक अन्य बड़े कदम में, एम्बुलेंस पर जीएसटी की दर पिछले 28 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दी गई है।
इसी तरह टॉसीलिजुमैब और एंफोटेरेसिन बी आदि दवाओं पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। मंत्री ने कहा कि 30 सितंबर 2021 तक कोरोना राहत और प्रबंधन में उपयोग की जा रही निर्दिष्ट वस्तुओं पर जीएसटी दरों को तय कर दिया गया है।
कोविद-19 के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टॉसीलिजुमैब पर कर की दर को भी माफ कर दिया गया है। इस पर पिछली टैक्स दर 5 प्रतिशत थी।
इसके अलावा, वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली परिषद ने यह भी निर्णय लिया कि कोविड के इलाज के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और फार्मा विभाग (डीओपी) द्वारा अनुशंसित किसी भी अन्य दवा पर कर की दर 5 प्रतिशत रखी जाएगी।
जीवन रक्षक उपकरणों और उत्पादों के मामले में, जिसकी कम उपलब्धता ने पूरे देश में बहुत दहशत पैदा की है, कर की दर कम किए जाने पर कुछ राहत जरूर मिलेगी।
कोरोना संकट के दौर में बहुत सी चीजों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लग रहा था, जिसे घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। ऐसी भी कई चीजें हैं, जिन पर 12 प्रतिशत या 18 प्रतिशत जीएसटी लग रहा था, उसे भी घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। मंत्रियों के समूह ने कई सुझाव दिए थे, जिस पर जीएसटी परिषद ने गंभीरता से विचार किया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि एम्बुलेंस पर जीएसटी की दर को 28 से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद ने मेडिकल ग्रेड आक्सीजन, बीआईपीएपी मशीनों, ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर, वेंटिलेटर, पल्स ऑक्सीमीटर पर कर की दर 12 से घटाकर पांच प्रतिशत करने का फैसला किया है।
कोविड-19 की दूसरी लहर की प्रारंभिक अवधि के दौरान अस्पतालों में मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की कम उपलब्धता ने काफी लोगों की जान ले ली थी। पहली लहर में वेंटिलेटर की कमी थी, जो देश में एक गंभीर चिंता का विषय थी।
अब हैंड सैनिटाइटर, तापमान को जांचने वाले उपकरणों पर भी कर की दर को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है।
अब, कोविड परीक्षण किट पर भी 5 प्रतिशत कर लगेगा, जबकि पिछली दर 12 प्रतिशत थी।
निर्णयों पर टिप्पणी करते हुए, डेलॉयट इंडिया के वरिष्ठ निदेशक एम. एस. मणि ने कहा, हालांकि दवा और उपकरणों पर कटौती अच्छे कल्याणकारी उपाय हैं, मगर छूट की अवधि को कम करने से व्यवसायों के लिए नए निवेश की योजना बनाना और अपनी आपूर्ति श्रृंखला का विस्तार करना मुश्किल हो जाएगा।
छूट की अवधि कम होने पर उन्होंने देश के सभी कोनों तक जरूरी उपकरणों की पहुंच सुनिश्चित होने को लेकर चिंता जताई।
मणि ने कहा, अपने निर्माण और व्यापार में लगे व्यवसायों को उम्मीद है कि यह अवधि 30 सितंबर से आगे बढ़ा दी जाएगी।