नई दिल्ली, 20 मई 2021
भारत दुनिया के उन अगुवा देशों में शामिल है, जिसके पास अपने लोगों के लिए घर में बनी दो-दो वैक्सीन मौजूद है- कोविशील्ड और कोवैक्सिन। एक तीसरी भी रूस से मंगा ली गई है- स्पूतनिक वी। लेकिन, अभी तक 18 करोड़ 78 लाख से ज्यादा डोज पहले दोनों की ही पड़ी है। हालांकि, इस समय देश में लोगों को जो भी वैक्सीन उपलब्ध हो रही है, वह जल्दी से जल्दी उसे लगवा लेने में ही भलाई समझ रहे हैं। लेकिन, कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें अपनी पसंद की वैक्सीन ही लगवानी है। इसकी खास वजह है। ये वो लोग हैं, जिन्हें आने वाले कुछ समय में विदेश जाना है। वह चाहते हैं कि कोविशील्ड की ही डोज लगवाएं, जिसे कि ज्यादा देशों ने आधिकारिक तौर पर मंजूरी दे दी है। जबकि, कोवैक्सिन को मंजूरी देने वाले देशों की लिस्ट फिलहाल छोटी है।
विदेश जाने वालों में कोवैक्सिन को लेकर हिचकिचाहट
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड को विकसित तो ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका ने किया है, लेकिन इसकी ट्रायल एकसाथ भारत और यूके दोनों जगह की गई थी। लेकिन, कोवैक्सिन खांटी देसी वैक्सीन है, जिसे पूरी तरह से भारत में ट्रायल के बाद स्वदेशी कंपनी भारत बायोटेक ने बनाया है। भारत सरकार ने फाइनल फेज की ट्रायल पूरा होने से पहले इसकी इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी थी और उस समय इसको लेकर कई तरह की आशंका पैदा करने की भी कोशिश की गई थी। हालांकि, बाद में जितने सारे सर्वे हुए और रिसर्च पेपर सामने आए, उन सबने इसे बहुत ही ज्यादा प्रभावी माना और हर तरह के नए वेरिएंट के खिलाफ कारगर हथियार भी बताया। लेकिन, इंडिया टुडे में एक रिपोर्ट छपी है, जिसमें दावा किया गया है कि दुनिया में ज्यादातर बड़े देशों ने इसे फिलहाल हरी झंडी नहीं दी है। इसलिए, निकट भविष्य में संबंधित देशों की यात्रा करने वाले लोग इसे लगवाने से कतरा रहे हैं। गुरुवार शाम तक की बात करें तो देश में कोविशील्ड की 16,78,51,247 डोज दी जा चुकी है तो 1,99,68,025 डोज कोवैक्सिन की भी लगाई गई है।
कोविशील्ड को लेकर क्या सोच रहे हैं ?
रिपोर्ट में कोविड19 डॉट ट्रैकवैक्सीन डॉट ओरजी के हवाले से कहा गया है कि फिलहाल 10 से भी कम देशों ने कोवैक्सिन को आधिकारिक तौर पर मंजूरी दी है और अधिकतर देश भारत से आने वाले लोगों के लिए सिर्फ कोविशील्ड की सुरक्षा कवच को ही ग्रीन सिग्नल दे रहे हैं। इसके मुताबिक जिन्होंने कोवैक्सिन का टीका लिया है, उन्हें हो सकता है कि दूसरे देश रोकें नहीं। फिर भी निकट भविष्य में विदेश यात्रा पर जाने वाले लोगों में एक धारणा बनी है कि वह कोविशील्ड लगवाने को ही प्राथमिकता दे रहे हैं, क्योंकि उनके गंतव्य देश ने आधिकारिक तौर पर उसे ही फिलहाल मंजूर दे रखी है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि अमेरिका या ब्रिटेन जैसे देश भविष्य में कोवैक्सिन को मंजूरी नहीं देंगे। लेकिन, जबतक यह आधिकारिक नहीं होता लोगों के मन में एक हिचकिचाहट बनी हुई है। वैसे अमेरिका ने कोविशील्ड को भी मंजूरी नहीं दी हुई है, लेकिन वहां इसकी क्लिनिकल ट्रायल चल रही है। जबकि, कोवैक्सिन पर भारत के बाहर कहीं ट्रायल नहीं हो रही है।
वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर हो रही है टेंशन
विदेश जाने की तैयारी कर रहे लोग यह सोचकर सोच में पड़े हुए हैं कि कई देश अब ‘वैक्सीन पासपोर्ट’ पर जोर देने वाले हैं। ऐसा नहीं होने पर वह आने वाले विदेश यात्रियों को एयरपोर्ट से ही दो हफ्ते के लिए अनिवार्य क्वारंटीन के लिए होटल भेज सकते हैं। यही वजह है कि लोग कोविशील्ड ही लगवाना चाहते हैं, जिसकी ज्यादातर देशों में मंजूरी मिलने की उन्हें संभावना लग रही है। ऐसे लोगों में ज्यादातर वो स्टूडेंट हैं, जो सामान्य तौर पर अगस्त-सितंबर में निकलते हैं। उन्हें चिंता है कि अगर कोवैक्सिन लगवाकर पहुंचे और क्वारंटीन के लिए होटल भेज दिया तो काफी महंगा पड़ा सकता है। इसलिए वह कोविशील्ड का टीका लगवाने में ही भलाई समझ रहे हैं। मसलन,बेंगलुरु के कृष्णा प्रसाद मास्टर्स के लिए कनाडा जाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं कोविशील्ड वैक्सीन की स्लॉट ढूंढ़ रहा हूं, क्योंकि कनाडा सरकार की वेबसाइट पर यह मंजूर की गई वैक्सीन की लिस्ट में है।’ यही स्थिति यूके और आयरलैंड जैसे देशों की भी है।
इन देशों में कोवैक्सिन को मिल चुकी है मंजूरी
मुंबई के आशीष कुमार भी कोविशील्ड ही लगवाना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें अगले महीने ऑस्ट्रेलिया जाना है और वहां अभी तक कोवैक्सिन को मंजूरी नहीं मिली है। उनका कहना है,’मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जानी जाने वाली कोविशील्ड टीका ही लगवाना चाहता हूं, क्योंकि इसमें दिक्कत नहीं है।’ इसी तरह यूरोपियन यूनियन सिर्फ उन्हीं लोगों को आने की इजाजत देना चाहता है, जो उसकी लिस्ट में शामिल वैक्सीन लगवाकर आ रहे हों। वैसे जिन देशों ने अभी तक कोवैक्सिन को हरी झंडी दिखा रखी है, उनमें ईरान, नेपाल, फिलीपींस, मॉरीशस, जिम्बाब्वे, पैराग्वे, गुयाना और मेक्सिको जैसे देश शामिल हैं।