लखनऊ, 12 मई 2021
कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले में उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में स्थित मेरठ रोगियों की संख्या के मामले में चार्ट में टॉप पर पहुंच गया है। बीते 24 घंटे में 1368 नए मामले सामने आए हैं इसके साथ ही जिले में कोरोना वायरस के एक्टिव केस की संख्या 13941 पहुंच चुकी है। रोगियों की बढ़ती संख्या के साथ अस्पतालों में सुविधाओं की भारी कमी होने लगी है। जिले में कोरोना वायरस के सबसे बड़े केयर सेंटर लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में तो हालत यह हो गई है कि मरीजों के परिजन चारपाई और पंखे का इंतजाम खुद ही कर रहे हैं।
अस्पताल में हालात इतने खराब हैं कि मरीजों को अस्पताल के फर्श चादर बिछाकर लेटना पड़ रहा है। मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते डॉक्टर मरीजों का ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।
अस्पताल में इमरजेंसी क्षेत्र या फिर नियमति बेड के बीच में अस्थायी बेड लगा दिए गए हैं। कोविड प्रोटोकॉल का पालन तक नहीं हो पा रहा है। अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ की कमी के चलते परिजन खुद ही अपने मरीजों की देखरेख कर रहे हैं।
अस्पताल में अपनी मां का इलाज करा रहे एक युवा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अस्पताल में स्टाफ की भारी कमी है। एक बार मेरी मां को सांस लेने में तकलीफ हुई तो मुझे खुद ही उनकी मदद करनी पड़ी। उनकी पोजीशन बदली क्योंकि मैं नहीं जानता था कि नर्स कब तक वापस आएंगी।
जिले में 601 लोगों की मौत
अस्पताल में 370 ऑक्सीजन बेड और 140 आईसीयू बेड हैं जो कि सारे भर चुके हैं। पिछले 24 घंटे में मेरठ जिले में कोरोना वायरस से 15 मौत हुई है। इसके साथ ही मरने वालों की संख्या 601 पहुंच गई है। जिले में रोजाना औसत 1500 केस दर्ज किए जा रहे हैं। कोरोना मामलों की संख्या के मामले में मेरठ राजधानी लखनऊ के बाद दूसरे नंबर पर है।
जिले में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में कुल मिलाकर 2974 बेड हैं। इनमें 1672 ऑक्सीजन बेड और 583 आईसीयू के हैं। इनमें लगभग सभी फुल हो चुके हैं। जिले में 172 वेंटिलेटर बेड हैं जिनमें से 92 भर चुके हैं। प्रशासन का दावा है कि वह रोज नए बेड जोड़ रहा है।
लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार कहते हैं कि संक्रमण के मामलों की संख्या अचानक बढ़ गई है। हम 200 स्टाफ के साथ अपना सर्वोत्तम प्रयास कर रहे हैं। इनमें 60 खुद कोविड से बीमार चल रहे हैं।
ऑक्सीजन के लिए हो रही मारामारी
सिर्फ अस्पताल में ही नहीं बल्कि ऑक्सीजन रीफिलिंग एजेंसी के बाहर भी मारामारी बनी रहती है। एजेंसी के बाहर गैस भरवाने वालों की कतार लगी रह रही है। लोग सुबह 4 बजे से ही गैस के लिए पहुंच जाते हैं।
मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अखिलेश मोहन का कहना है कि हालात में सुधार हो रहा है। “इस मौके पर मामलों में एक निश्चित प्रवृत्ति की ओर इशारा करना कठिन है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले सप्ताह में मामलों में गिरावट आएगी। अस्पताल पर दबाव कम हो रहा है और ऑक्सीजन बेड की उपलब्धता बढ़ रही है।”