अहमदाबाद, 8 मई 2021
देश में कई शहरों के अस्पतालों से अब कोरोना मरीजों को ब्लैक फंगस का इंफेक्शन होने के मामले भी सामने आ रहे हैं। राजधानी दिल्ली के अस्पताल के बाद अब गुजरात में अहमदाबाद के अस्पताल में ऐसे कोरोना मरीज मिले हैं, जिन्हें फंगल इंफेक्शन – म्यूकोर्माइकोसिस, या ब्लैक फंगस से पीड़ित पाया गया है। तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों के बीच इसे एक नई और दुर्लभ बीमारी बताया जा रहा है।
रिपोर्ट् के मुताबिक, अहमदाबाद के अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। बीजे मेडिकल कॉलेज और सिविल अस्पताल के एक एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कल्पेश पटेल ने बताया कि ईएनटी वार्ड के ऐसे मरीजों की पहचान पिछले 20 दिनों में ही हो गई थी। उन्होंने कहा, “इनमें से 45 को अभी सर्जरी से गुजरना है। हम रोजाना पांच से सात ऑपरेशन कर रहे हैं।”
प्रोफेसर के मुताबिक, इस तरह की समस्या इम्यूनोडिफ़िशिएंसी कहलाती है, जिसे ब्लैक फंगस या म्यूकॉरमाइकोसिस बीमारी के नाम से जाना जाता है। ये कोरोना से उबरने वाले ऐसे रोगियों को हो रही है, जो आईसीयू में आते हैं या जो लंबे समय से पीडि़त हैं। वहीं, दिल्ली के एक प्रमुख अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा, “इस तरह के खतरनाक इंफेक्शन के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है।
दिल्ली स्थित गंगा राम अस्पताल के सीनियर ईएनटी सर्जन डॉ. मनीष मुंजाल ने कहा, “पिछले दो दिनों में हमने म्यूकोर्मोसिस के 6 केसेस देखे। पिछले साल इंफेक्शन की वजह से आंखों की रोशनी कम होने और नाक व जबड़े की हड्डी के नुकसान से पीड़ित लोगों की मौत हुई थी।”
अस्पताल के ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजय स्वरूप ने कहा, ”यह दिक्कत उन रोगियों को ज्यादा होती है, जिन्हें मधुमेह है।”
एम्स प्रमुख डॉ.रणदीप गुलेरिया ने भी ऐसी ही बात कही। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि रोगियों को दी जाने वाली कुछ दवाओं की “अनुचित” उच्च खुराक – जैसे कि स्टेरॉयड – “आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को और कम कर सकती है..।”
उन्होंने कहा, “कोरोना की वजह से आपकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और आप माध्यमिक बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण, या अवसरवादी संक्रमणों से ग्रस्त हो जाते हैं। कुछ दवाएं जो हम देते हैं, वे ऐसे स्तर पर हैं जो इन फंगल इंफेक्शन को नहीं रोक पातीं।”
उन्होंने कहा, “यदि हम लंबे समय से बहुत अधिक खुराक वाले स्टेरॉयड प्राप्त कर रहे हैं, तो इम्यूनिटी खो रहे हैं…और यदि आपको मधुमेह या कुछ अन्य तकलीफें तो हैं जो आपकी इम्यूनिटी और कम होती चली जाती है। ऐसे में आपको इंफेक्शन होने का ज्यादा खतरा है।”