दाहोद, 3 मई 2021
गुजरात में कोरोना वॉरियर्स से जुड़ी अनेकों कहानियां सामने आ रही हैं। यहां एक वृद्ध नर्स के जज्बे को आप सलाम कर सकते हैं। 71 वर्षीय मैत्रो जेमिनीबेन अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों की सेवा में जुटीं हैं। वह दाहोद से हैं। उनके साहस को देखकर लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं, क्योंकि वहां अस्पताल के चिकित्सा कर्मचारी भी रोगियों के नजदीक आने से डरते हैं और अपनी नौकरी से भी खौफ खाए रहते हैं।
जेमिनीबेन बताती हैं कि, पिता दाहोद में एक चित्रकार थे और जब वो सिर्फ 8 साल की थी, तभी पिता की कैंसर से मृत्यु हो गई थी। उसके बाद दिल का दौरा पड़ने के कारण माँ भी चल बसीं। मां-पिता को खोने के बाद जेमिनीबेन को अहसास हुआ कि बीमारी लोगों के लिए कितनी घातक होती हैं। और, बहुत कम उम्र से ही जेमिनीबेन ने अपना जीवन बीमार लोगों की सेवा में समर्पित करने के लिए संकल्प ले लिया। उन्होंने एसएससी की परीक्षा पास की और फिर इरविन कॉलेज, जामनगर से नर्सिंग का कोर्स किया।
नर्सिंग का कोर्स करने के बाद एक निजी अस्पताल से नर्स के रूप में अपना नर्सिंग करियर शुरू किया और फिर 1979 में वह राज्य सरकार की सर्विस में शामिल हुईं। वर्ष 2009 में वो सेवानिवृत्त हुईं। हालांकि, इसके बाद भी वह विभिन्न निजी अस्पतालों में काम करती रहीं। कोरोना महामारी के इन दिनों में वह गुजरात के दाहोद में ज़ाइडस अस्पताल में एक मैट्रन के रूप में काम कर रही हैं।
अविवाहित रहीं और जिंदगी सेवा में लगा दी
अविवाहित जेमिनीबेन ने अपना पूरा जीवन रोगी की देखभाल में लगा दिया। वह 71 वर्ष की उम्र में भी स्वस्थ हैं और लोग यह देखकर चकित रह हैं कि वह कैसे अस्पताल में काम करती हैं और साथ ही साथ अपने आवास पर पूरे उत्साह में नजर आती हैं। एक नर्स ने कहा कि, जेमिनिबेन सभी का सम्मान करती हैं और वह अपने साथी कर्मचारियों और मरीजों के साथ चेहरे पर मुस्कान लाते हुए काम करती हैं।
70 पार की उम्र में भी, उन्हें कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं है और वे बीमार लोगों को आखिरी सांस तक बचाने की इच्छा रखती हैं। यहां तक कि, अस्पताल में जेमिनीबेन शायद ही कभी लिफ्ट का उपयोग करती है।
ज़ाइडस अस्पताल में 275 नर्सिंग स्टाफ की भर्ती हुई। जो कि, जेमिनिबेन द्वारा की गई, और वो खुद भी कोई भी काम करने के लिए तैयार हैं। बिना किसी डर के उन्होंने कोरोना संक्रमित रोगियों की सेवा करने की ठानी। रोगियों को उनका रवैया पसंद आता है और वे खुशी-खुशी अपने घर लौट जाते हैं।