नई दिल्ली, 21 अप्रैल 2021
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर आज भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। इस बार रामनवमी पर उदयकाल में पुष्य नक्षत्र और दोपहर 12 बजे जन्म के समय रवियोग रहने वाला है। इस दिन प्रमुख ग्रहों की स्थिति वर्गोत्तम होने से श्रेष्ठ योग बने हैं। राम जन्म के शुभ ग्रहों का विशेष संयोग होने के कारण इस समय की गई श्रीराम पूजा, स्तुति और स्तोत्र पाठ विशेष मंगलकारी रहेगी और समस्त व्याधियों का निवारण करेगी।
ज्योतिष शास्त्र में पंच महापुरुष योग का उल्लेख मिलता है। इसके अनुसार केंद्र में उपस्थित स्वराशि ग्रह, जो अपनी राशि में उच्चगत हो तो पंच महापुरुष योग बनाते हैं। रामनवमी के दिन चंद्रमा कर्क राशि में, शनि मकर राशि में तथा शुक्र मेष राशि में होने से यह वर्गोत्तम के साथ केंद्राधिपति योग भी बना रहे हैं। इसके साथ ही सूर्य का मेष राशि में अपने उच्च नवांश के साथ होना विशेष लाभकारी और चमत्कारी स्थिति का निर्माण कर रहा है। ग्रहों की इस श्रेष्ठ स्थिति में श्रीराम की स्तुति, स्तोत्र पाठ, हवन, अनुष्ठान आदि से संक्रमण जनित महामारी का निवारण करने में सफलता मिल सकती है।
संकट निवारण के लिए क्या उपाय करें
श्रीराम नवमी के दिन ग्रह-नक्षत्रों का विशेष शुभ संयोग बनने से यह दिन विशेष फलदायी हो गया है। श्री राम स्मृति दर्शन में विभिन्न् प्रकार से श्रीरामजी की उपासना का उल्लेख मिलता है। इसके माध्यम से सांसारिक जीवन में हर प्रकार के संकट का निवारण किया जा सकता है। रामनवमी पर विशेष पाठ कर अपने संकल्प को सफल कर सकते हैं। भक्तों को सर्वबाधा व संक्रमण निवारण के लिए श्रीराम रक्षास्तोत्र एवं जटायुकृत राम स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। पदवृद्धि के लिए इंद्रकृत श्रीरामस्तोत्र व श्री राम मंगला शासनम् का पाठ करना श्रेष्ठ है। पारिवारिक शांति के लिए वाल्मीकि रामायणकृत अयोध्या कांड का पाठ तथा व्याधि नाश के लिए अरण्य कांड का पाठ करना चाहिए।
सुंदरकांड का पाठ करेगा सारे संकट को दूर
रामनवमी के दिन श्रीरामचरितमानस में उल्लेखित श्री सुंदरकांड का पाठ करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन विधि-विधान से भगवान श्री राम, माता जानकी, लक्ष्मण सहित हनुमानजी का आवाहन पूजन करके सुंदरकांड का पाठ करें। राम दरबार को हलवे का नैवेद्य लगाएं। इससे सारे संकटों का समाधान होगा। सुंदरकांड की प्रत्येक चौपाई से हवन करने से सारे रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
रात में बनेगी सर्पीलाकार आकृति
नक्षत्र मेखला की गणना के अनुसार रामनवमी पर दोपहर 12 बजे श्रीराम जन्म के समय से करीब 30 घंटे अश्लेषा नक्षत्र विद्यमान रहेगा। अश्लेशा नक्षत्र तीक्ष्ण मंद लोचन नक्षत्र है। इसकी आकृति कुंडली मारे हुए नाग के समान होती है। कई जगह इसका आकार चक्र के समान बताया गया है जो कुंडली मारकर बैठे हुए सर्प के समान ही है। राम नवमी की रात्रि में नक्षत्र मंडल में टेलीस्कोप आदि उपलब्ध साधनों से देखने पर सर्पीलाकार आकृति दिखाई देगी।