नई दिल्ली, 13 अप्रैल 2021
रूस में तैयार कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया की पहली रजिस्टर्ड वैक्सीन स्पुतनिक-वी को भारत में मंजूरी मिल गई है। देष में बढ़ते कोरोना वायरस केस के बाद ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने वैक्सीन के आपात उपयोग की अनुमति दी है। रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) ने इसकी जानकारी दी है। भारत में आपात इस्तेमाल के लिए अनुमति पाने वाली स्पुतनिक तीसरी वैक्सीन है। भारत में अभी तक कोविड टीकाकरण के लिए कोविशील्ड और कोवैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा था। अब स्पुतनिक वी के इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद इन दो वैक्सीन पर निर्भरता कम होने के साथ ही टीकाकरण में तेजी आएगी। भारत स्पुतनिक वी वैक्सीन को मंजूरी देने वाला 60वां देश है। आइए भारत में इस्तेमाल होने वाली इन तीन वैक्सीनों की खासियत और इनमें अंतर पर एक नजर डालते हैं।
किस कंपनी ने बनाई है वैक्सीन?
भारत में जिस तीसरी कोरोना वायरस वैक्सीन स्पुतनिक वी को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने आपात उपयोगी के लिए मंजूरी दी है इसके नाम दुनिया की पहली कोविड-19 वैक्सीन होने का रिकॉर्ड दर्ज है। स्पुतनिक वी वैक्सीन का निर्माण रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) की मदद से किया गया है। शुरुआत में इस वैक्सीन को आयात किया जाएगा लेकिन बाद में हैदराबाद स्थित डॉ रेड्डी लैब में इसका उत्पादन किया जाएगा।
स्पुतनिक वी के अलावा भारत में दी जा रही अन्य दो वैक्सीन का निर्माण देश में ही हो रहा है। इनमें कोविशील्ड वैक्सीन को पुणे स्थित दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है। कोविशील्ड वैक्सीन के विकास में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर किया है। यही वजह है कि इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन भी कहा जाता है।
भारत में एक और वैक्सीन इस्तेमाल हो रही है जिसका नाम कोवैक्सीन है। कोवैक्सीन का निर्माण हैदराबाद स्थित भारत बॉयोटेक कर रही है। इस वैक्सीन का विकास भारत बॉयोटेक ने आईसीएमआई के साथ मिलकर किया है।
कौन सी वैक्सीन कितनी असरदार ?
भारत में तीसरी वैक्सीन के रूप में मंजूरी पाने वाली स्पुतनिक वी को अभी तक 60 देशों ने मंजूरी दी है। स्पुतनिक वी के रूस में ट्रायल के दौरान पूरी तरह सुरक्षित मिलने के बाद ही डीसीजीआई ने भारत में आपात उपयोग की अनुमति दी है।
वैक्सीन का निर्माण करने वाला गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बताया है कि स्पुतनिक वैक्सीन 91.6 प्रतिशत प्रभावी है। वैक्सीन निर्माताओं के मुताबिक स्पुतनिक की पहली खुराक 87.6 प्रतिशत सुरक्षा दे सकती है।
वहीं भारत में निर्मिती कोवैक्सीन तीसरे चरण के ट्रायल में 81 फीसदी असरदार पाई गई है। कोवैक्सीन का तीसरे चरण में 25,800 लोगों पर ट्रायल किया गया था। वहीं ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड तीसरे चरण के ट्रायल में 80 प्रतिशत प्रभावी पाई गई है।
किस वैक्सीन की क्या है कीमत ?
अभी तक सरकारी अस्पताल में कोविड टीकाकरण निशुल्क किया जा रहा है लेकिन निजी अस्पताल में टीकाकरण के लिए सरकार ने कीमत तय की है। वर्तमान में जिन दो वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन के जरिए टीकाकरण किया जा रहा है उनमें से हर एक डोज की कीमत 250 रुपये रखी गई है। हर वैक्सीन का दो डोज लेना आवश्यक है।
वहीं तीसरी वैक्सीन स्पुतनिक की कीमत क्या होगी इसे लेकर अभी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन टीकाकरण के विशेषज्ञों का मानना है कि नई वैक्सीन की कीमत भी इसी के आस-पास होने की संभावना है।
वैक्सीन के दोनों डोज में अंतर
अभी तक जिन दो वैक्सीन से टीकाकरण किया जा रहा है उनमें शुरुआत में दोनों वैक्सीन में 4 सप्ताह का अंतर रखा गया था। बाद में विशेषज्ञों की सलाह पर कोविशील्ड वैक्सीन के लिए यह अंतर बढ़ाकर 6 से 8 सप्ताह कर दिया गया था। विशेषज्ञों ने पाया था कि कोविशील्ड वैक्सीन 6 से 8 सप्ताह के अंतर पर दिए जाने पर अधिक असरदार साबित हो रही थी। इसके बाद डोज में अंतर को बढ़ाने का फैसला लिया गया। वहीं दूसरे टीके कोवैक्सीन की दो डोज में अंतर को पहले की तरह ही 4 सप्ताह का रखा गया।
अब तीसरी वैक्सीन स्पुतनिक वी के लिए भारत में क्या अंतर रखा जाएगा इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है।