नई दिल्ली, 30 मार्च 2021
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस भारत में शामिल करने वाले केंद्र सरकार के बयानों ने पाकिस्तान की ऐसी चिंता बढ़ा दी है कि पड़ोसी देश पूरे पीओके में नई सड़कों के निर्माण और पुरानी सड़कों की मरम्मत में जुट गया है. इस काम के लिए पाकिस्तान, चीन की मदद ले रहा है. पाकिस्तान लेह के दूसरी ओर गिलगित-बाल्टिस्तान में स्कार्दू तक पहुंचने के लिए पुरानी सड़कों को नए सिरे से जल्द से जल्द पूरा करने में जुटा है. इस सड़क के पूरा होने के बाद पाकिस्तान की सेना को कारगिल, सियाचिन, बटालिक और चोर बाटला की तरफ पहुंचने में आसानी हो जाएगी. जगलोट से स्कार्दू तक की दूरी 167 किलोमीटर की है और इस पूरी सड़क को पक्का किया जा रहा है.
इस सड़क के पूरा होने के बाद पाकिस्तान की सेना को कारगिल, सियाचिन, बटालिक और चोर बाटला की तरफ पहुंचने में आसानी हो जाएगी. जगलोट से स्कार्दू तक की दूरी 167 किलोमीटर की है और इस पूरी सड़क को पक्का किया जा रहा है. साथ ही इस सड़क में मौजूद तीव्र मोड़ को भी ठीक किया जा रहा है, इसके लिए आसपास के पहाड़ों को तोड़कर रोड को आसान बनाया जा रहा है. पहले ये सड़क 3.5 मीटर चौड़ी हुआ करती थी, लेकिन अब इसे 7.5 मीटर चौड़ा किया जा रहा है. पाकिस्तान के लिए सामरिक तौर पर महत्वपूर्ण इस सड़क को बनाने का काम वैसे तो पाकिस्तान के फ्रंटियर वर्क ऑर्गेनाइजेशन को दे रखा है, लेकिन इस सड़क के निर्माण की जिम्मेदारी एक चीनी कंपनी को दी गई है. यही कंपनी काराकोरम हाइवे को डबल लेन बनाने के काम में जुटी है.
काराकोरम हाइवे पर जगलोट से एक पतला रास्ता सेकार्दू की तरफ जाता है, इसी रास्ते को अब चौड़ा किया जा रहा है. इस सड़क में चीन की दिलचस्पी इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि स्कार्दू एयरबेस के नवीनीकरण में उसने हर तरह की मदद की है, यही नहीं नया रनवे भी तैयार किया गया है और हर मौसम में दिन रात एयरबेस का इस्तेमाल हो सके इसके लिए नई तकनीक का भी उपयोग किया गया है.
ध्यान देने वाली बात है कि भारत के साथ एलएसी पर तनाव के बीच पाकिस्तान स्कार्दू बेस पर चीन के कई फाइटर और मालवाहक विमान स्कार्दू एयर बेस पर दिखाई दिए थे. जानकारों की माने तो जगलोट स्कार्दू हाइवे को चीन अपने काम के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाला है. जगलोट स्कार्दू हाइवे को एस-1 हाइवे के नाम से जाना जाता है, जोकि जगलोट में काराकोरम हाइवे को एन-35 से जोड़ता है. ये हाइवे पीओके के खुंजराब पास से होते हुए चीन में प्रवेश कर जाता है, जहां इसे काराकोरम हाइवे के एनएच-314 के नाम से जाना जाता है. जगलोट से स्कार्दु की इस सड़क का निर्माण इसी साल सितंबर 2021 तक पूरा होने की संभावना है.
बहरहाल पाकिस्तान भले ही ये कहकर प्रचारित कर रहा है कि सड़क की मरम्मत हो जाने से इलाके में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जबकि सच्चाई ये है कि पाकिस्तान अपनी सामरिक क्षमता को बढ़ाने के लिए ऐसा कर रहा है और इस पर मुहर इस बात से लग जाती है कि चीन इस प्रोजेक्ट में पाकिस्तान का साथ दे रहा है.
जगलोट स्कार्दु के अलावा 135 किलोमीटर लंबे थाकोट साजिन रोड पर भी तेजी से काम चल रहा है. चीन, पाकिस्तान की मदद कर जितनी भी सड़कों का जाल पीओके में बिछा रहा है, वो ज्यादातर चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को सपोर्ट देने के लिए हैं.