नई दिल्ली, 28 मार्च 2021
आज होलिका दहन है, होलिका दहन के बाद ही रंग खेलना शुरू हो जाता है। होलिका दहन की पूजा बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसका खास महत्व होता है इसलिए इस दौरान कुछ चीजें नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसका गलत प्रभाव आप और आपके परिवार पर पड़ता है।
पूजन मुहूर्त
- अभिजीत मुहूर्त 12:02 pm से 12:51 pm
- अमृत काल 11:05 am से 12:32 pm
होलिका पूजन मंत्र
अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै: अतस्तां पूजयिष्यामि भूति भूति प्रदायिनीम।
होलिका की कथा
आज होलिका दहन को छोटी होली भी कहते हैं, आज के दिन लोग अच्छाई की बुराई की जीत का जश्न मनाते हैं। होली भारत के सबसे पुराने पर्वों में से एक है। यह कितना पुराना है इसके विषय में ठीक जानकारी नहीं है लेकिन इसके विषय में इतिहास पुराण और साहित्य में अनेक कथाएं मिलती है, जिसमें सबसे लोकप्रिय कहानी है भक्त प्रहलाद और होलिका की, जिनकी वजह से ही होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई।
प्रह्लाद और होलिका की कथा
विष्णु पुराण के अनुसार प्रह्लाद के पिता दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर देवताओं से यह वरदान प्राप्त कर लिया कि वह न तो पृथ्वी पर मरेगा न आकाश में, न दिन में मरेगा न रात में, न घर में मरेगा न बाहर, न अस्त्र से मरेगा न शस्त्र से, न मानव से मारेगा न पशु से। इस वरदान को प्राप्त करने के बाद वह स्वयं को अमर समझ कर नास्तिक और निरंकुश हो गया।वह चाहता था कि उनका पुत्र भगवान नारायण की आराधना छोड़ दे, परन्तु प्रह्लाद इस बात के लिये तैयार नहीं था। हिरण्यकश्यप ने उसे बहुत सारे कष्ट दिए लेकिन वह हर बार बच निकला। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी। अतः उसने होलिका को आदेश दिया के वह प्रह्लाद को लेकर आग में प्रवेश कर जाए जिससे प्रह्लाद जलकर मर जाए।
लेकिन होलिका का यह वरदान उस समय समाप्त हो गया जब उसने भगवान भक्त प्रह्लाद का वध करने का प्रयत्न किया। होलिका अग्नि में जल गई परन्तु नारायण की कृपा से प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। इस घटना की याद में लोग होलिका जलाते हैं और उसके अंत की खुशी में होली का पर्व मनाते हैं।