नई दिल्ली, 26 मार्च 2021
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में मार्च-अंत और अप्रैल में होने वाले चुनावों से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाने की मांग को खारिज कर दिया। प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे और न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा, “2018 में शुरू की गई योजना और 2018, 2019 और 2020 में बिना किसी बाधा के रिलीज होने के प्रकाश में, हम इस चरण में इस पर रोक लगाने का कोई कारण नहीं देखते हैं।”
एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया है कि एक गंभीर आशंका है कि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड की किसी भी तरह की बिक्री, शेल कंपनियों के माध्यम से राजनीतिक दलों के अवैध धन को और बढ़ाएगी।
एनजीओ का प्रतिनिधित्व वकील प्रशांत भूषण ने किया था। एडीआर ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया था कि वह केंद्र सरकार को एडीआर की रिट याचिका की पेंडेंसी के दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम, 2018 के तहत आगे इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री न करने दे।
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने मार्च 2019 में और नवंबर 2019 में भी एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया। पिछले साल अक्टूबर में, संगठन ने आगामी बिहार चुनावों के मद्देनजर जल्द सुनवाई के लिए एक आवेदन दायर किया था।
याचिका में दलील दी गई है कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स स्कीम ने राजनीतिक दलों के लिए असीमित कॉर्पोरेट चंदा और भारतीय के साथ-साथ विदेशी कंपनियों द्वारा बेनामी धनराशि मिलने का रास्ता खोल दिया है, जिसका भारतीय लोकतंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।