तमिलनाडु की राजनीति में एक नौजवान चेहरा जिसमें भविष्य की बहुत सारी संभावनाएं देखी जा रही हैं वो हैं डॉ. जयकुमार जयवर्धन. वैसे तो पेशे से डॉक्टर हैं मगर सियासत के सारे मर्ज और उनका इलाज भी बखूबी जानते हैं. कभी तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के पसंदीदा नेताओं में गिने जाने वाले डॉ. जयकुमार जयवर्धन चेन्नई दक्षिण से अन्ना द्रमुक मुनेत्र कड़गम के सांसद हैं. 2014 में जयललिता ने जब इनको लोकसभा का टिकट दिया तब उस वक़्त वे जनरल मेडिसिन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे थे. चुनाव की वजह से इम्तिहान छोड़ा, अभियान में पूरी ताकत लगाई और जीत हासिल की. जयवर्धन ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी व द्रमुक के अनुभवी टीकेएस इलांगोवन को 1.35 लाख मतों से पराजित किया. दिलचस्प बात ये कि इससे पहले जयवर्धन ने कभी छात्रसंघ चुनाव तक नहीं लड़ा था.
29 मई 1987 को चेन्नई में जन्मे जे.जयवर्धन ने श्री रामचंद्र मेडिकल कॉलेज और रिसर्च इंस्टीट्यूट से एमबीबीएस किया है. वे जनरल मेडिसिन में एमडी हैं और ये डिग्री उन्होंने सांसद बनने के बाद हासिल की. इनके पिता डी. जयकुमार चेन्नई से विधायक हैं. डी. जयकुमार साल 1991 से 1996 के बीच जयललिता की सरकार में मत्स्यायन मंत्री के अलावा एक साल तमिलनाडु असेंबली में स्पीकर भी रहे हैं.इनकी पत्नी स्वर्णलक्ष्मी भी डॉक्टर हैं.
हालांकि जयवर्धन आधिकारिक तौर पर साल 2011 से एआईएडीएमके का हिस्सा रहे हैं. इन्होंने जयललिता के जन्मदिन जैसे अवसरों पर चिकित्सा और रक्तदान शिविर आयोजित करने में सक्रिय रूप से काम किया है. चुनाव जीतने के बाद जयवर्धन ने अपने आपको पूरी तरह राजनीति को समर्पित कर दिया है. वे अम्मा के विज़न 2023 को पूरा करने में लगे हुए हैं. इसके तहत वे युवा सशक्तिकरण और समाज कल्याण के कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रहे हैं. वे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की परामर्श समिति के सदस्य हैं. हाल ही में इनको तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के नाम पर गठित एक मंच ‘पुराची थलैवी अम्मा पेरावै’ का संयुक्त सचिव नियुक्त किया गया है.
फेम इंडिया मैगज़ीन व एशिया पोस्ट सर्वे के 40@40 2018 के सर्वे में सक्रियता, राजनैतिक व सामाजिक जीवन, जनता से जुड़ाव, प्रभाव, संयम, संवाद क्षमता आदि कई बिन्दुओं पर किये गए आंकलन में डॉ. जयकुमार जयवर्धन प्रयत्नशील कैटगरी में प्रमुख स्थान पर रहे.