गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में शानदार प्रदर्शन के बाद भारतीय मुक्केबाज कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में अपने मुक्कों का दम दिखाने के लिए तैयार हैं. भारत के 9 मुक्केबाज प्रेजिडेंट कप में हिस्सा लेने के लिए कजाकिस्तान पहुंच गए हैं. इंडोनेशिया के जकार्ता में होने वाले एशियन गेम्स को देखते हुए भारतीय मुक्केबाजों का यह टूर्नामेंट बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
कजाकिस्तान में दिखेगा भारतीय मुक्केबाजों का दम
इस टूर्नामेंट में बॉक्सिंग के पावर हाउस माने जाने वाले क्यूबा, यूरोप, रूस, उज्बेकिस्तान, आयरलैंड, कजाकिस्तान जैसे देशों के मुक्केबाज अपना दम दिखाएंगे. भारतीय मुक्केबाजों के लिए राह किसी भी लिहाज से आसान नहीं होने वाली है. क्योंकि इस बार मुकाबले कॉमनवेल्थ खेलों से कहीं ज्यादा मुश्किल होंगे. लेकिन एक बार फिर भारतीय मुक्केबाजों के साथ कोच धर्मेंद्र सिंह यादव की मौजूदगी उनका हौसला बढ़ाने का काम करेगी. धर्मेंद्र देश के पहले प्रोफेशनल बॉक्सर रहे हैं. एक खिलाड़ी और कोच के तौर पर उन्हें बड़ी प्रतियोगिताओं का अच्छा खासा अनुभव है. जो इस बेहद मुश्किल टूर्नामेंट में खिलाड़ियों के बेहद काम आएगा.
युवा मुक्केबाजों पर है भरोसा-एस आर सिंह
भारतीय बॉक्सिंग टीम के चीफ कोच एसआर सिंह ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि ‘इस बार नए और अनुभवी मुक्केबाजों को प्रेजिडेंट कप में खेलने के लिए भेजा है. जिससे बड़े टूर्नामेंट में इन खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ सके. कजाकिस्तान के अलावा भारत के कुछ और मुक्केबाज मंगोलिया और रूस में जाकर इंविटेशनल टूर्नामेंट खेलेंगे. इन टूर्नामेंट में बेहतीन प्रदर्शन करने वाले मुक्केबाजों को एशियन गेम्स में मौका दिया जाएगा. चीफ का कहना है कि उनकी कोशिश है देश से बेहतरीन से बेहतरीन मुक्केबाजों को बड़े टूर्मामेंट में मौका दिया जाए, इससे पदक लाने का पर्संटेज बढ़ जाता है. कॉमनवेल्थ गेम्स में यह फॉर्मूला पूरी तरह से सफल रहा था.’
क्या चलेगा भारतीय मुक्केबाजों का जादू
गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय मुक्केबाजों ने नौ पदक अपने नाम किए थे. जिसमें 3 गोल्ड, 3 सिल्वर, 3 ब्रॉन्ज मेडल थे. लेकिन कजाकिस्तान में मुकाबला बेहद कड़ा होगा. यहां यह पता चलेगा कि एशियन गेम्स के लिए भारतीय मुक्केबाजों की तैयारी कैसी है. कजाकिस्तान में भारतीय मुक्केबाजों के साथ पांच कोच और एक डॉक्टर करणजीत सिंह को भेजा गया है. गौरतलब है कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय बॉक्सिंग फेडरेशन ने टीम के साथ कोई डॉक्टर नहीं भेजा था.