नई दिल्लीः सिंडिकेट बैंक और इंडियन बैंक के मैनेजिंग डायरैक्टर जल्द इस्तीफा दे सकते हैं। इनके खिलाफ टैलीकॉम कम्पनी एयरसैल को दिए 600 करोड़ रुपए के लोन में कथित रूप से फ्रॉड करने के आरोप की जांच चल रही है। इस मुद्दे पर बैंकों और सरकार के बीच चर्चा होने की बात को एक सीनियर सरकारी अफसर ने सही बताया है।
बर्दाश्त नहीं की जाएगी बैंकरों की कोई भी गलती
दोनों सरकारी बैंकों के एम.डी. आने वाले हफ्तों में इस्तीफा दे सकते हैं या वी.आर.एस. चुन सकते हैं। सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस मामले में जबरदस्त दबाव बना है क्योंकि सरकार ने अपना रुख साफ कर दिया है कि बैंकरों की किसी भी तरह की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
600 करोड़ रुपए गबन करने का आरोप
इंडियन बैंक के मैनेजिंग डायरैक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव किशोर खरात जबकि सिंडिकेट बैंक के एम.डी. और सी.ई.ओ. मेल्विन रेगो हैं। पिछले महीने सी.बी.आई. ने आई.डी.बी.आई. बैंक के 15 पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों और 24 अन्य के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज कराया था। इनमें शामिल एयरसैल के संस्थापक सी. शिवशंकरण, 11 कम्पनियों और उनके डायरैक्टरों पर कथित रूप से लैंडर्स का 600 करोड़ रुपए गबन करने का आरोप है।
घोटाले के समय IDBI बैंक के MD थे खरात
यह घोटाला जब हुआ था तब खरात आई.डी.बी.आई. बैंक के एम.डी. और सी.ई.ओ. तथा रेगो डिप्टी मैनेजिंग डायरैक्टर थे। बैंक ऑफ इंडिया के एम.डी. मेल्विन रेगो को 2017 में सिंडिकेट बैंक ट्रांसफर किया गया था। उसी साल किशोर खरात और एम.के. जैन की पोस्ट एक दूसरे से बदल दी गई थी। खरात को आई.डी.बी.आई. बैंक से इंडियन बैंक जबकि जैन को आई.डी.बी.आई. बैंक से इंडियन बैंक में भेज दिया गया था।