नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा की 224 में से 222 सीटों के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुबह सात बजे से शांतिपूर्ण तरीके से मतदान जारी है। शुरुआती रिपोर्ट में ग्रामीण इलाकों में मतदान केन्द्रों में लोगों की भारी भीड़ देखी गयी है जबकि शहरी क्षेत्रों में लोगों में मतदान के प्रति उतना उत्साह देखने को नहीं मिला है। वैसे तो पूरे कर्नाटक विधानसभा नतीजों पर देश के सियासी पंडितों की नजर है ,लेकिन कर्नाटक की दो सीटें ऐसी हैं जहां सबका खास ध्यान है। ये हैं बादामी और शिकारीपुरा। बादामी से मौजूदा सी एम कांग्रेस के सिद्धारमैया चुनाव लड़ रहे हैं जबकि शिकारीपुरा से बीजेपी के सी एम फेस येदियुरप्पा मैदान में हैं। बीजेपी ने बादामी से सिद्धारमैया को हराने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। सिद्धारमैया के विरुद्ध बीजेपी दिग्गज और दलित नेता श्रीरामुलु को उम्मीदवार बनाया गया है। बीजेपी के हमलों से सिद्धारमैया भी चिंतित दिखते हैं और शायद इसीलिए वे चामुंडेश्वरी से भी चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि बादामी से वे लगातार दो बार जीत चुके हैं। उनके चामुंडेश्वरी से भी लडऩे को लेकर बीजेपी उत्साहित है और उसका दावा है कि हार देखकर ही सिद्धारमैया ने चामुंडेश्वरी से भी लडऩे का फैसला किया है।
थोड़े रिलैक्स नजर आ रहे हैं येदियुरप्पा
उधर बीजेपी के सी एम फेस येदियुरप्पा इस मामले में थोड़े रिलैक्स नजर आते हैं। शिकारीपुरा उनकी परम्परागत सीट है और वे यहां से रिकार्ड सात बार चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि वे यहां अजेय नहीं हैं। 1999 में उन्हें यहां हार का सामना करना पड़ा था। 2014 में यह सीट उनके बेटे यतीन्द्र ने जीती थी। येदियुरप्पा के खिलाफ कांग्रेस ने गोनी मालतेश को उतारा है। दिलचस्प ढंग से जीडीएस के सी एम फेस एच डी कुमारस्वामी भी दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं।
दो सीट पर चुनाव नहीं
कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 सीटें हैं, लेकिन चुनाव 222 के लिए ही हो रहा है। बेंगलुरु में आर आर नगर में दस हज़ार से अधिक फर्जी वोटर कार्ड मिलने के बाद चुनाव स्थगित कर दिया गया है जबकि जयनगर सीट पर भाजपा उम्मीदवार और विधायक वीएन विजयकुमार के निधन की वजह से चुनाव स्थगित किया गया है। इन दोनों सीटों पर 28 मई को पोलिंग होगी और इनके नतीजे 31 मई को आएंगे। हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि 15 मई के नतीजे कैसे होंगे। अगर तो 15 मई को ही बहुमत स्पष्ट हो गया तब तो ठीक है वर्ना अगर हालात कहीं ऐसे बन गए कि इन दो सीटों से ही सत्ता का फैसला हुआ तो चुनाव आयोग के इस फैसले पर भी विवाद उभरना स्वाभाविक है।