रेवाड़ी, लगभग 4 वर्ष पूर्व सुशासन का दावा करने वाली खट्टर सरकार का दावा मात्र दावा ही रह गया। यह हम नहीं कह रहे थाने में खड़ी एक सैनिक की पत्नी कह रही है। जो अपने इकलौते नाबालिक बच्चे को न्याय दिलवाने के लिए थाने में दर्जनों चक्कर लगा चुकी है। दर्जनों चक्कर काटने के बावजूद भी इसकी शिकायत तक लेना पुलिस ने मुनासिब नहीं समझा। मीडिया के दखल के बाद शिकायत तो ले ली लेकिन कार्रवाई कब होगी यह किसी को नहीं पता।
ये महिला रेवाड़ी-गुडगांव सीमा पर बसे गांव मऊ की रहने वाली सैनिक की पत्नी है। पति देश सेवा में लगा हुआ है, और वह नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले अपने इकलौते बेटे के साथ गांव में ही रहती है। सैनिक का होनहार बेटा कुश्ती भी लड़ता है, और कुश्ती में कई मेडल भी जीत चुका है। लेकिन पहले उसका पहलवान बेटा काफी दिनों से गुमसुम रहने लगा। वह डरा सहमा रहने लगा, तो मां को चिंता होने लगी। मां ने जब बेटे से प्यार से पूछा तो सबके साथ हुआ सच सामने आ गया। जिसको सुनकर मानों मां के पैरों नीचे से जमीन निकल गई।
कुछ माह पूर्व बेटा अपने दोस्तों के साथ बिना मां को बताए एक होटल पर खाना खाने चला गया। खाना खाते समय उसके दोस्तों ने उसका वीडियो बना लिया। दोस्तों और पीड़ित बच्चे की उम्र में भी बहुत बड़ा अंतर है। खाने का वीडियो दिखाकर बड़ी उम्र के दोस्त पीड़ित को ब्लैकमेल करने लगे। दोस्तों ने वीडियो वायरल करने की धमकी देकर उससे पहले तो घर से 2000 हजार रूपये मंगवाए। बच्चे ने अपने घर से 2000 हजार रूपये चुरा कर उन्हें लाकर दे दिए। और फ़िर पैसे देते हुए का भी वीडियो बना लिया।
घर से पैसे चुराने का ख़ौफ़ पीड़ित के जहन में डालकर उन दोस्तों ने नाबालिग छात्र से चोरी करवाकर लाखों रुपये, मोबाइल फ़ोन यहां तक की उसकी मां के आभूषण तक उन्होंने उससे मंगवा लिए। सारी हदें तो तब पार हो गई जब एक दोस्त ने उसे ब्लैकमेल कर उसके साथ कुकर्म तक कर डाला। इन सभी का खुलासा होने के बाद सैनिक की पत्नी अपने पीड़ित बेटे को लेकर पटौदी थाने पहुंची। लेकिन पटौदी पुलिस ने रेवाड़ी सीमा का हवाला देकर पटौदी थाने भेज दिया।
काफी दिनों से वह दोनों थानों के दर्जनों चक्कर लगा चुके है। पटौदी पुलिस ने बिना शिकायत लिए ही अपनी कार्रवाई शुरू कर दी। नाबालिग बच्चे को थाने में बुलाकर खूब डांट फटकार लगाई और उसे मौके पर ले जाकर गलत काम करने की जगह को बदलने के लिए भी कहा गया। पटौदी पुलिस लगातार कहती रही कि यह मामला धारणा रेवाड़ी जिले की सीमा में आता है। लेकिन जो जगह बच्चे द्वारा बताई गई वह गुड़गांव जिले में ही आती है।
सीमा विवाद का बहाना बनाकर पुलिस एक दूसरे थाने में लगातार भेजते रहें। बीते दिन जब मीडिया कर्मी पटौदी थाने पहुंचे तब कहीं जाकर शिकायत ली गई। जब हम पटौदी के एसीपी वीर सिंह से मिले तो उन्होंने कैमरे पर बोलने से इनकार करते हुए कहा कि उनके संज्ञान में यह मामला तक ही नहीं था। पटौदी के थाना प्रभारी भी मीडिया कर्मियों से बचते रहे। अब देखना होगा कि क्या शिकायत लेने के बाद पुलिस कोई कार्यवाही करती है या फिर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए जाएगा। हां लेकिन इतना जरूर है कि सुशासन का दावा यहां आकर दम जरूर तोड़ रहा है। क्या सैनिक की पत्नी को न्याय मिल पाएगा। यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा कि पुलिस कोई कारवाई कर गलत काम करने वाले युवकों को गिरफ्त में ले कर कार्रवाई करती है या फिर अपनी और प्रशासन की छवि पर एक और दाग छोड़ जाएगा।