संगीत के माध्यम से इंसान को ही अकेले राहत नहीं मिलती है बल्कि जानवरों को भी मिलती है. जिसका जीता जगता उदहारण है राजस्थान का सीकर जिला जहाँ एक गांव की गौशाला में गायों को संगीत सुनाया जाता है. इतना ही नहीं इस गौशाला ने संगीत के माध्यम से दुग्ध उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने में सफलता हांसिल की है.
राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना में खेतडी रोड पर स्थित श्रीगोपाल गौशाला में गायों को प्रतिदिन सुबह और शाम एम्पलीफायर लगाकर तीन तीन घंटे संगीत सुनाया जाता है. गौशाला के प्रबन्धकों का दावा है कि उनके यहां दुग्ध उत्पादन में 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो गई है.
चौंकाने वाली बात तो यह कि इस गौशाला ने 600 से ज्यादा गांव पर इस एक्सपेरीमेंट से सफलता हांसिल की और अपना दुग्ध उत्पादन काफी जोर से बढ़ाया है. गायों को सुबह 5.30 बजे से 8.30 बजे तक और शाम को 4.30 बजे से 8.00 बजे तक एम्पलीफायर के जरिए भजन सुनाए जाते हैं.
गोयल ने बताया कि गायों को भजनों के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत भी सुनाया जाता है. संगीत सुनने पहले गायों के चहरे सुस्त रहते थे लेकिन संगीत सुनने के बाद अलबेली मुस्कान रहती है. छह माह में संगीत सुनने से पूर्व जो गायें दुर्बल थी वो अब तदुंरूस्त हो गई हैं. उन्होंने बताया कि गौशाला में गायों की 24 घंटें देखभाल करने के लिये 22 कर्मचारी है और गौशाला का प्रतिमाह करीब सात लाख रूपये खर्चा आता है.