भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता डॉ. सरोज पांडेय छत्तीसगढ़ से राज्यसभा के लिए नामांकन करेंगी। यह सीट अप्रैल में भूषण लाल जांगड़े के कार्यकाल के बाद खाली हो रही है, इसके बाद इसी सीट से सरोज राज्यसभा जाएंगी। डॉ. सरोज ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत छात्र जीवन से की, और राजनीति के क्षेत्र में कई रिकॉर्ड बना डाले।
2008 में पहली बार लड़ा विधानसभा चुनाव
राजनीति में अपना लोहा मनवा चुकीं डॉ. सरोज पांडेय एक साथ महापौर, विधायक और सांसद रह चुकीं हैं। पांडेय का यह रिकॉर्ड गिनीज और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है। इसके अलावा लगातार 10 साल तक बेस्ट मेयर का अवार्ड भी इन्हें मिल चुका है।पांडेय ने छत्तीसगढ़ में बीजेपी के सिंबल पर पहली बार महापौर का चुनाव लड़ा और उन्हें जीत मिली। इसके बाद दोबारा 2008 में भिलाई के वैशाली नगर सीट से विधानसभा का प्रत्याशी बनाया गया। उन्होंने विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी के बृजमोहन को लगभग 15 हजार मतों से हराया था। फिर क्या था इसके बाद सरोज ने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे बढ़ती चलीं गई।
दुर्ग से पहली बार बनीं सांसद
भारतीय जनता पार्टी ने 2009 के आम चुनाव में विधायक और महापौर सरोज को दुर्ग की लोकसभा सीट से लोकसभा का प्रत्याशी घोषित कर दिया और डॉ. सरोज का सीधा मुकाबला बीजेपी से बाहर हुए दुर्ग से लगातार तीन बार सांसद रहे ताराचंद साहू से था। पांडेय ने साहू को भारी मतों से पराजित किया। इसके बाद राष्ट्रीय राजनीति में उनका कद बढ़ता चला गया। सांसद रहते ही पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया।
हार के बाद हुई आलोचना
डॉ. सरोज को 2014 में हुए आम चुनाव में मोदी लहर होने के बाबजूद हार का सामना करना पड़ा, वह छत्तीसगढ़ से इकलौती बीजेपी प्रत्याशी थीं, जिन्हें हार मिली। इसके बाद राजनीति की गलियों में सरोज की आलोचना शुरू हो गई और कहा जाने लगा कि अब इनका राजनीतिक करियर खत्म हो गया।लेकिन बीजेपी ने उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ी जिम्मेदारी दे दी और वह महाराष्ट्र में सफल हुईं। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर डॉ. सरोज पांडेय की पकड़ मजबूत होती गई।