चमत्कार को नमस्कार। जी हां, देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स के डॉक्टर भी इस चमत्कार को नमस्कार कर रहे हैं। मैदान-ए-जंग में दुश्मन की 9 गोलियां सीने पर खाने के बाद भी जिंदगी की जंग जीतने वाले CRPF कमांडेंट चेतन कुमार चीता को आखिरकार होश आ गया है। वह दो महीने से कोमा में थे। दिल्ली के एम्स अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच लड़ रहे थे। बुधवार को उनको अस्पताल से घर भेज दिया गया था।
एम्स ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों के अनुसार, चेतन कुमार चीता की हालात में पहले से अब काफी सुधार हुआ है। उनको जब अस्पताल लाया गया था, उस वक्त उनके सिर में बहुत ही गंभीर चोट लगी थी। शरीर का ऊपरी हिस्सा बुरी तरह से फ्रैक्चर था और दाईं आंख पूरी तरह से नष्ट हो गई थी। उनका GCS (सिर की चोट की गंभीरता तय करने का टेस्ट) का स्कोर M3 था, जो अब M6 है। वह पूरी तरह होश में आ गए हैं और लोगों की बातों पर प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं।
डॉ. अमित गुप्ता ने बताया कि चेतन चीता को एडमिट करने के 24 घंटे के अंदर सर्जरी कर उन्हें संक्रमण से बचाने के लिए उन्हें हैवी ऐंटीबायॉटिक्स दिए गए थे। उनके गहरे जख्म लगातार साफ किए गए थे। उनके इलाज के लिए डॉक्टरों की अलग-अलग टीमें बनाई गई थीं। नेत्र रोग विशेषज्ञों की टीम ने आंख का इलाज किया, मगर दाईं आंख में बुरी तरह से चोट लगने की वजह से ठीक न हो सकी। हालांकि, इलाज अब भी जारी है।
बताते चलें कि 14 फरवरी को बांदीपुरा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में चेतन कुमार चीता घायल हो गए थे। इस मुठभेड़ में 3 जवानों की मौत हो गई थी। इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की खबर के बाद सुरक्षा बलों ने सर्च अभियान चलाया था, मगर इसकी जानकारी आतंकियों को पहले ही मिल गई थी। उन्होंने ठिकाना बदल लिया। चेतन ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे। आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान चीता पर 30 गोलियां दागी गईं, जिनमें से 9 गोलियां उन्हें लगी थीं।
घायल हालत में चीता को पहले श्रीनगर के आर्मी अस्पताल ले जाया गया था, जहां उनकी ब्लीडिंग रोकने के लिए दवाइयां दी गईं। हालांकि जख्म की गंभीरता को देखते हुए उन्हें एयर ऐंबुलेंस के जरिए एम्स ले जाने का फैसला किया गया। एम्स में पहले से ही तैयार डॉक्टरों की टीम ने कमांडेंट चेतन चीता का इलाज किया। विशेषज्ञों की एक टीम ने ऐंटीबायॉटिक थेरपी के जरिए उनकी देखरेख की थी।दो महीने के इलाज के बाद उनकी स्थिति ठीक हुई है।