नई दिल्ली: मशहूर एवं बेहद खूबसूरत अभिनेत्री श्रीदेवी की अचानक मौत से पूरा देश सदमे में है और इसीके साथ लोगों की जेहन में एक ही सवाल उठ रहा है कि आखिर यह कार्डियाक अरेस्ट अथवा हार्ट अटैक दो चीजें अगल-अलग कैसे हैं और क्या कार्डियाक अरेस्ट से बचाव संभव है? जानेमाने कार्डोयोलॉजिस्ट एवं तीन राष्ट्रपतियों के पूर्व निजी चिकित्सक पद्मश्री प्रोफेसर (डॉ़ ) एम वली ने बताया कि श्रीदेवी के कार्डियाक अरेस्ट के बहुत से कारण हो सकते हैं। प्रोफेसर वली ने कहा कि हमें पूरी तरह विश्वास है कि स्वास्थ्य और रूप रंग के प्रति बेहद जागरूक इस अपूर्व सुंदरी ने अपनी मेडिकल जांच में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी होगी, लेकिन कार्डियाक अरेस्ट अथवा अचानक हृदय गति का रूक जाना दिल का दौरा पड़ने से थोड़ी अलग स्थिति होने के बावजूद उसके कारणों से बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है। इसमें चिंता भी बहुत बड़ा करण है जो आज इंसान के साथ ‘सांस’ की तरफ चिपकी हुई है।
क्या है कार्डियाक अरेस्ट
-कार्डियाक अरेस्ट एक ऐसी अवस्था है जिसमें लोगों की जान शायद ही बचती है। इसमें दिल चलते-चलते अचानक रूक जाता है और मौत हो होती है।
-दिल की धड़कन की गति 70 से लेकर 120 या कभी 130 तक होती है और अगर यह 220, 250 अथवा 300 हो गई तो दिल की धड़कन की लय गड़बड़ हो जाती है और वह बंद हो जाती है।
-आप इसे इस तरह समझें कि आपने घोड़े को बहुत तेज दौड़ाया, चाबुक मार-मार कर दौड़ाया लेकिन एक अवस्था होगी कि घोड़ा गिर जाएगा और घोड़े का गिरना कार्डियाक अरेस्ट है।
-कार्डियाक अरेस्ट की स्थिति आने से पहले के इसके अलार्म को पहचाना ही इससे सुरक्षित रहने का एकमात्र रास्ता है।
-छाती में दर्द, थकान, सांस फूलना, दिल की धड़कन का तेज होना, बेचैनी और दिल घबराना बेहद महत्वपूर्ण अलार्म हैं। अगर हम इन्हें नजरअंदाज करते हैं और महत्वपूर्ण जांच नहीं करवाते हैं अथवा ठीक से इसका डायग्नोसिस नहीं होता तो दिल में खून का थक्का जम जाता है अथवा धड़कन बहुत तेज हो जाती है जो कार्डियाक अरेस्ट के कारण बनते हैं।