नागर जी अपने लेख में कहा कि अनब्याही लड़कियों को भी सेक्स करना चाहिए तथा उन्हें भी अपनी ‘प्यास’ बुझा लेने का अधिकार होना चाहिए. ऋषि मुनियों ने भी सेक्स को कभी बुरा नहीं कहा, बल्कि हिन्दू धर्म में तो कामसूत्र, योनी शास्त्र जैसे शास्त्र भी लिखे गए हैं। पर इन सबके वावजूद सेक्स करने के कुछ नियम तय किये गए हैं। उनमें से एक सबसे बड़ा नियम है, विवाह, यानि शास्त्रों के अनुसार स्त्री पुरुष केवल विवाह उपरांत ही सेक्स कर सकते हैं. बिना विवाह के सेक्स करना पाप कहा गया है, ऐसा केवल हिन्दू धर्म में ही नहीं अपितु दुनिया के सभी प्रमुख धर्मो में कहा गया है।
बाइबिल में
1- ‘ये अच्छा है की कोई अविवाहित रहे या विदुर रहे जैसा की मैं , पर यदि कोई अपनी काम इन्द्रीओं पर नियंत्रण नहीं रख सकता तो वो विवाह कर ले – Corinthians 7:8-9
2- यदि कोई अनैतिक सम्बन्ध बना के इश्वर के नियमों को तोड़ता है तो निश्चय ही ईश्वर उसे सजा देगा – Thessalonians 4:2-8
3- ईश्वर ने यौन क्रियाओं के लिए पति पत्नी बनाये है ताकि नैतिक और अनैतिक संबंधो में फर्क कर सके –
कुरान में
मोमिनान- 23:1-5, इसरा – 17:32, फुरकान – 25:28, नूर – 24:3 आदि में भी केवल अपनी पत्नी से ही सेक्स करने की इजाजत है ( कुछ जगह रखैलो का भी जिक्र है पर वहाँ दूसरी स्थिति है ) कुल मिला के इस्लाम निकाह से पहले शारीरिक सम्बन्ध बनाने को हराम कहता है .
वेदों में
अधर्व वेद (14:2:64) के अनुसार स्त्री पुरुष के केवल विवाह उपरांत ही यौन क्रियाये करनी चाहिए तभी इश्वर प्रसन्न रहता है. और ऋगवेद (8.31.5-8) में भी विवाह उपरांत ही सेक्स करने को कहा गया है. हिन्दू धर्म में 16 प्रकार के विवाह “स्वीकार्य” और “अस्वीकार्य ” जिसमें से गन्धर्व विवाह ऐसा विवाह है जो बिना माँ बाप की आज्ञा से हो सकता है और इसके बाद प्रेमी प्रेमिका सेक्स कर सकते हैं। शकुन्तला और दुष्यंत ने गन्धर्व विवाह कर के सेक्स किया था जिसके बाद भरत पैदा हुए जिसके नाम पर अपने देश का नाम “भारत” पड़ा , यानि विवाह के बाद ही सेक्स. कहने का तात्पर्य ये है की विवाह के बाद ही सेक्स किये गए सेक्स को ही नैतिक सेक्स कहेंगे .