होलाष्टक के 8 दिनों में मन में उल्लास लाने और वातावरण को जीवंत बनाने के लिए लाल या गुलाबी रंग का प्रयोग विभिन्न तरीकों से किया जाता है। लाल परिधान मूड को गरमा देते हैं यानी लाल रंग मन में उत्साह उत्पन्न करता है। इसीलिए उत्तर प्रदेश में आज भी होली का पर्व एक दिन नहीं अपितु 8 दिन मनाया जाता है। भगवान कृष्ण भी इन 8 दिनों में गोपियों संग होली खेलते रहे हैं और अंतत: होली में रंगे लाल वस्त्रों को अग्नि को समर्पित कर दिया। इसलिए होली मनोभावों की अभिव्यक्ति का पर्व है जिसमें वैज्ञानिक महत्ता है, ज्योतिषीय गणना है, उल्लास है, पौराणिक इतिहास है, भारत की सुंदर संस्कृति है जब सब अपने भेदभाव मिटा कर एक हो जाते हैं।
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की अवधि को शास्त्रों में होलाष्टक कहा गया है। होलाष्टक शब्द दो शब्दों का संगम है। होली तथा आठ अर्थात 8 दिनों का पर्व। इन दिनों गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, विवाह संबंधी वार्तालाप, सगाई, विवाह, किसी नए कार्य, नींव आदि रखने, नया व्यवसाय आरंभ करने या किसी भी मांगलिक कार्य आदि का आरंभ शुभ नहीं माना जाता।
इसके पीछे ज्योतिषीय एवं पौराणिक दोनों ही कारण माने जाते हैं। एक मान्यता के अनुसार कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी। इससे रुष्ट होकर उन्होंने प्रेम के देवता को फाल्गुन की अष्टमी तिथि के दिन ही भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शिव की आराधना की और कामदेव को पुनर्जीवित करने की याचना की जो उन्होंने स्वीकार कर ली। महादेव के इस निर्णय के बाद जन साधारण ने हर्षोल्लास मनाया और होलाष्टक का अंत दुलहंडी को हो गया। इसी परंपरा के कारण यह 8 दिन शुभ कार्यों के लिए वर्जित माने गए।