नई दिल्ली, कांग्रेस प्रधान राहुल गांधी आजकल अपने नए मंत्र के तहत पार्टी तथा समान विचार वाले सहयोगियों से ‘शांत तरीके’ से काम कर रहे हैं। वे दिन अब बीत गए जब राहुल गांधी को मिलना मुश्किल होता था तथा उनसे बातचीत नहीं हो सकती थी। राहुल किसी समय एसएमएस का जवाब नहीं देते थे और न ही इंतजार करने वाले मेहमानों को मिलते थे परंतु अब वह उन सब व्यक्तियों के साथ संपर्क कर रहे हैं जो किसी समय पार्टी छोड़ गए थे। वह सभी राज्य अध्यक्षों को कह रहे हैं कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि कांग्रेसियों को एकजुट रखा जाए। वह इस उद्देश्य के लिए नेताओं के साथ घंटों बातचीत कर रहे हैं।
शीला दीक्षित तथा अजय माकन जिस तरह अरविंद्र सिंह लवली को पार्टी में लेकर आए हैं उससे यह संकेत मिलता है कि वह सभी कांग्रेसी नेताओं को इकट्ठा रखना चाहते हैं। उन्होंने सभी कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों को खुली छूट देते हुए स्पष्ट कहा है कि वे जैसे भी हो, कांग्रेसियों को एकजुट रखें। असल में निशाना 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव हैं। उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से कहा है कि वह जो ठीक समझें, करें, परंतु किसी नेता को नजरअंदाज न करें। राहुल का मुख्य ध्यान महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल, पंजाब तथा यहां तक कि बिहार पर भी है, जहां कांग्रेस को 2019 में सीटें मिलने की उम्मीद है। इन राज्यों में कांग्रेस की भाजपा के साथ सीधी टक्कर है।