मुंबईः हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने अपना कारोबार चमकाने के लिए ‘पुड़िया घुमाओ’ का सहारा लिया। इसके तहत फर्जी बैलेंस शीट दिखाकर बैंकों से कर्ज लिया। मुंबई के हीरा कारोबार से जुड़े हुए लोग बताते हैं कि घोटाले का खुलासा तब हुआ जब नीरव अपने पुराने कर्ज को चुकाने के लिए नया कर्ज लेने में सफल नहीं हो सके। हीरा कारोबारी जगत में बैंकों को चूना लगाने के लिए ‘पुड़िया घुमाओ’ शब्दावली लोकप्रिय है। इसमें हीरे की खेप को एक बाजार से दूसरे बाजार में स्थानांतरित किया जाता है। कंपनी की बैलेंटशीट गलत तरीके से तैयार की जाती है। सूत्रों के मुताबिक नीरव मोदी इस तरीके से धन पिछले 2 साल से प्राप्त कर रहे थे।
धन जुटाने की असफल कोशिश
बताया जा रहा है कि पुड़िया घुमाने के बाद भी संकट में आने पर नीरव धन प्राप्त करने के लिए कई निजी इक्विटी फर्म के पास जा चुके थे। वह अपनी कंपनी में सांझेदारी बेचना चाहते थे। वह आई.पी.ओ. लाने की कोशिश में भी थे जिसमें सफलता नहीं मिल सकी। जब तक बैंक को कर्ज की वापसी होती रहती है तब तक इसमें सब कुछ ठीक चल रहा होता है, पर जब संकट बढ़ता है तब बैंक और कर्ज देने की प्रक्रिया को कठोर बनाने लगते हैं। कई मामलों में वे आगे कर्ज देना बिल्कुल बंद कर देते हैं।
फर्जी बैलेंसशीट दिखाकर कर्ज
एक बड़े हीरा कारोबारी कंपनी के पूर्व वरिष्ठ कर्मचारी का कहना है कि बैंकों से कर्ज पाने के लिए हीरा कारोबारी कंपनियां फर्जी लेन-देन दिखाती हैं। इसमें एक ही खेप का नकली कारोबार फर्जी कंपनियों के बीच दिखाया जाता है। इन कंपनियों पर नियंत्रण उन्हीं के लोगों का रहता है। इसमें कर्ज में प्राप्त धन का एक हिस्सा शुरूआत में ही दूसरे कारोबार में शिफ्ट कर दिया जाता है।
एन.पी.ए. के अंदेशे से देते रहते हैं धन
कई बार बैंक साख वाले मामले में वसूली न होने की स्थिति में भी आगे कर्ज देना जारी रखते हैं क्योंकि उन्हें अपना पूरा धन डूब जाने का अंदेशा रहता है। कर्ज में दी हुई राशि एन.पी.ए. (डूब हुआ धन) में न चली जाए इसलिए वे आगे भी कर्ज देते रहते हैं।