दक्ष प्रजापति के विश्व यज्ञ में सती के आत्मदाह पश्चात भगवान शंकर ने संसार को त्यागकर निरंकार का अलख जगा लिया था। महादेव युगों तक घोर तपस्या में लीन हो गये थे। समय के साथ सती ने हिमालय की पुत्री के रूप में पार्वती बनकर फिर से शिव मिलन हेतु जन्म लिया परंतु महादेव वर्षो तक अपनी उसी तपस्या में लीन ही रहे। देवगणों नें पार्वती-शंकर के मिलन हेतु महादेव की तपस्या को भंग करने के लिए कामदेव का चयन किया। कामदेव व रति ने महादेव को रिझाकर समाधि से जगाने का असफल प्रायास किया अंततः कामदेव ने महादेव पर काम पुष्प बाण छोड़कर उनकी तपस्या भंग कर दी। क्रोधित महादेव ने अपने तीसरी नेत्र की ज्वाला से कामदेव को भस्म कर दिया। परंतु कामदेव के ही कारण शिवरात्रि पर महादेव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ।
बुधवार दि॰ 14.02.18 महाशिवरात्रि के व्रत का पारण है तथा फाल्गुन चतुर्दशी के उपलक्ष्य में शिवालयों व मंदिरों में विशेष पूजा अभिषेक व अर्चन किया जाएगा। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी पर विशेष शिव शिवर्चन पूजन, रुद्रभिषेक व उपाय से कालसर्प दोष के कुप्रभाव कम होते है, संक्रमण की समस्या में सुधार होता है, आर्थिक नुकसान से मुक्ति मिलती है।
पारण समय: महाशिवरात्रि के व्रत का पारण बुधवार दि॰ 14.02.18 को प्रातः 07:04 से शाम 15:20 तक रहेगा। अतः बुधवार दि॰ 14.02.18 को चतुर्दशी के उपलक्ष्य में शिवालयों व मंदिरों में विशेष पूजा अभिषेक व अर्चन किया जाएगा परंतु शिवरात्रि व्रत, जागरण व निशीथ पूजन मंगलवार दि॰ 13.02.18 को ही मान्य होगा।
पूजन विधि: शाम के समय शिवालय जाकर या घर में शिव परिवार का चित्र स्थापित करके विधिवत पूजन करें। गौघृत का चौमुखी दीपक जलाएं, तगर से धूप करें, चंदन से तिलक करें, दूर्वा, विल्वपत्र चढ़ाएं, लौकी के हलवे का भोग लगाएं। चंदन की माला से इस विशेष मंत्र का यथासंभव जाप करें। पूजन उपरांत हलवा प्रसाद स्वरूप वितरित करें।
पूजन मुहूर्त: शाम 15:37 से शाम 16:37 तक। (चन्द्रास्त पूर्व)
पूजन मंत्र: ॐ भ्रौं स्रौं शिवाय अमोघविक्रमाय नमः॥
उपाय
आर्थिक नुकसान से बचने हेतु काले शिवलिंग पर चढ़े 4 सिक्के चौराहे पर फेंक दें।
संक्रमण की समस्या में सुधार हेतु काले शिवलिंग पर चढ़े खीरा-ककड़ी खाएं।
कालसर्प दोष के कुप्रभाव कम करने हेतु शिवलिंग पर चढ़े 12 धतूरे जलप्रवाह करें।