नई दिल्ली, दिल्लीवासियों के लिए खुशखबरी, 2018 में दिल्लीवासी प्रदूषण मुक्त दिवाली मना सकेंगे। वैज्ञानिक धुंआ रहित इलेक्ट्रानिक पटाखे बनाने पर काम कर रहे हैंं 2017 में उच्चतम न्यायालय ने राष्टीय राजधानी क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों में दिवाली पर पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था, मगर पिछले वर्ष प्रदूषण का स्तर बढ़ गया था। लोगों ने दिल्ली से बाहर से पहले ही पटाखे खरीद लिए थे। रोशनी का त्यौहार पूरी तरह इलेक्ट्रानिक हो सकता है।
सरकार समर्थित अनुसंधान संस्थाओं के वैज्ञानिकों ने धुंआ रहित ई क्रेकर्स बनाने शुरू कर दिए हैं जो एक साथ रोशनी, रंग और आवाज भी देंगे। यह परंपरागत पटाखों की जगह लेंगे इसमें ना तो प्रदूषण फैलेगा और ना ही आग लगने का खतरा होगा। केंद्रीय विज्ञान और प्रोद्योगिकी मंत्रालय के तहत भारत भारत की प्रमुख काउंसल आॅफ साइंटिफिक रिसर्च प्रयोगशालाओं से कहा गया है कि वे प्रदूषण की रोकथाम करने के उपायों का विकल्प ढूंढे। पटाखों से हर साल दिल्ली शहर समेत उत्तरी भारत के बहुत से शहरों में दिवाली पर पटाखे फोड़े जाते हैं। जिससे प्रदूषण बढ जाता है।
राजस्थान के पिलानी मे स्थित CSIR के सेंटल इलेक्टानिक रिसर्च इंस्टीटूयट (CEERI )के निर्देशक शांतनु चौधरी ने कहा कि इलेक्टानिक उपकरण पटाखों की तरह होंगे। वे पटाखों की तरह आवाज करेंगे और रोशनी विखेरेंगे, मगर किसी तरह का धुंआ नही करेंगे, क्योंकि इसमें कोई रासायनिक पदार्थ नही होगा। वैज्ञानिकों ने कहा कि इन पटाखों का प्रोटोटाइप 6 महीनों में तैयार हो जाएगा और इस वर्ष दिवाली से पूर्व ई क्रेकर्स लोगों को प्राप्त होंगे। केंद्रीय विज्ञान और प्रोद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन द्वारा 5 जनवरी को बुलाई गई एक बैठक में इस विचार पर चर्चा की गई। मंत्री ने वैज्ञानिकों को बताया कि वे ऐसे इलेक्ट्रानिक पटाखे विकसित करें जो दिवाली के बाद प्रदूषण को कम करें।