नई दिल्ली : भारत की भूमि शूरवीरों से भरी हुई है। इस पावन भूमि का इतिहास रहा है कि यहाँ पर ऐसे-ऐसे महान योद्धा हुए हैं जो अकेले ही कम से कम 100 लोगों को मारने में समर्थ होते थे। राजपूताना राजा हों या फिर अवध के नवाब , मराठा शूरवीर हों या फिर हैदराबाद के निज़ाम। ज़रूरत पड़ने पर सबने एक साथ होकर इस भारत माँ की रक्षा के लिए कुर्बानी दी है
आज हम आपको एक ऐसे ही राजपूत राजा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में ये कहा जाता था कि ”उसकी तलवार के आगे बड़ी से बड़ी सेना भी गाजर-मूली की तरह कट जाती थी। जिसका निशाना अचूक था। सबसे बड़ी बात ये थी उसके बारे में उसके राज्य का हर एक सैनिक 100 शत्रुओं के सिर काटकर ही मरता था।
हम बात कर रहे हैं 4 मई 1649 को जन्में बुदेला राजपूत वंश के महाराजा छत्रसाल की जिसने मात्र 22 साल की उम्र में ही मुगलों के खिलाफ जंग का एलान कर दिया था। अपनी कुछ हज़ारों की सेना लेकर मुगल बादशाह औरंगजेब की विशाल सेना से लड़ाई लड़ी और उसे युद्ध में परास्त करके बुंदेलखंड नाम की रियासत बनाई और पन्ना के महाराज बने।
महाराजा छत्रसाल बचपन से ही छत्रपति शिवाजी महाराज के संपर्क में रहे थे। जिसकी वजह से उनमें शुरुआत से ही मुगलों को भारत से खदेड़ने और समूचे भारत में केसरिया ध्वज लहराने की तीव्र इच्छा थी। शुरुआत में चित्रकूट और पन्ना के बीच का इलाका और पश्चिम में ग्वालियर का बड़ा हिस्सा जीत लिया था। औरंगजेब के अलावा महाराजा छत्रसाल ने रोहिल्ला खान, कालिक, मुनव्वर खान समेत कई मुग़ल सम्राटों को धूल चटाई थी।
आपको बता दें कि इससे पहले फिल्म बाजीराव मस्तानी में भी महाराजा छत्रसाल का जिक्र हुआ था। क्योँकि मस्तानी असल में महाराजा छत्रसाल की ही बेटी थीं। मध्य प्रदेश में स्थित छतरपुर महराजा छत्रसाल के नाम पर ही पड़ा है। वर्तमान में महाराजा छत्रसाल के वंशज आज भी वहीं उसी महल में रहते हैं।