इलाहाबाद : देश के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड के मुख्य आरोपी माने जा रहे राजेश तलवार और नुपूर तलवार को आज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सभी आरोपों से बरी कर दिया है।
तलवार दंपति हुए रिहा
बता दें सीबीआई कोर्ट 26 नवंबर 2013 को नूपुर तलवार और राजेश तलवार को बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या में दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तलवार दंपत्ति ने तलवार दम्पति ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कई सालों तक सुनवाई करने के बाद आज इलाहाबाद हाई कोर्ट को इस केस का फैसला सुनाना था। पिछले कई सालों से गाजियाबाद की डासना जेल में सजा काट रहे तलवार दंपत्ति को आज हाई कोर्ट ने रिहा कर दिया।
रहस्मयी था पूरा मामला
15 मई 2008 की रात नोएडा के मशहूर डीपीएस में पढ़ने वाली आरुषि तलवार की रहस्मयी तरीके से मौत हो गयी थी। उसके घर में उसकी लाश उसके बिस्तर पर खून से सनी हुई पायी गयी थी। इस हत्या के बाद से ही पास-पड़ोस में हड़कंप मच गया था। मौकाए वारदात पर पुलिस कई लोगों को शक के दायरे में लेकर पूछताछ कर रही थी। इसी बीच पुलिस और आरुषि के माता-पिता का ध्यान नौकर हेमराज पर गया जो मौकाए वारदात से फरार था। पुलिस ने हेमराज की तलाश ज़ारी कर दी। सभी को ये यकीन हो गया था कि नौकर ही आरुषि का खून करके भाग गया है। मगर इस हत्याकांड में तब रोचक मोड़ आ गया जब हेमराज की भी लाश पुलिस के हाथों चढ़ गयी और वो भी आरुषि के घर की छत से। इसके बाद तो पूरा मामला ही पलट गया। इसके बाद पुलिस ने नए सिरे से जांच शुरू की तो राजेश तलवार को ही इन दोनों हत्याओं का दोषी पाते हुए 23 मई, 2008 को गिरफ्तार किया।
सीबीआई नें शुरू की जांच, नौकर को भी लिया हिरासत में
केस को पूरी तरह से सीबीआई को सौंप कर पुलिस ने अपना पीछा छुड़वा लिया था। इसके बाद सीबीआई ने शक के आधार पर राजेश के करीबी नौकर राजकुमार को भी गिरफ्तार कर लिया था। सीबीआई की क्लोज़र रिपोर्ट आने तक राजेश तलवार को लगभग 50 दिनों तक जेल की हवा खानी पड़ी थी।
राजेश तलवार को बनाया हत्यारा
इसके बाद जमानत के आधार पर राजेश बाहर आ सके। हत्या के दो साल बाद सीबीआई ने साल 2010 में अपनी क्लोज़र रिपोर्ट पेश की। ढेरों सुनवाई होने के बाद सीबीआई कोर्ट ने राजेश तलवार को हत्या और और हत्या के सबूत मिटाने के आरोपों में दोषी पाते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी।
उम्रकैद की मिली सज़ा
इसके बाद साल 2012 में राजेश तलवार की पत्नी नूपुर तलवार ने भी कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। जिसके बाद साल 2013 में तलवार दंपत्ति को इस डबल मर्डर में दोषी पाते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी।
सवाल फिर वही, आखिर हत्यारा कौन ?
आज इलाहाबाद हाई कोर्ट में भले ही तलवार दम्पत्ति को रिहा कर दिया हो मगर सवाल फिर वही सामने आ गया है कि अगर ये नहीं तो आखिर हत्यारा कौन ? ये न्यायव्यवस्था का मखौल नहीं है कि हत्या के 10 सालों बाद भी ये नहीं पता लग पाता है कि आखिर खून किसने किया है ? इस हत्या के आरोपों में दोषी ना होते हुए भी तलवार दंपत्ति को इतने साल जेल में बिताने पड़ते हैं। पुलिस झूठा खुलासा करके वाहवाही लूटती है फिर कोर्ट को एक फैसला लाने में सालों लग जाते हैं और शायद ये थोड़ा बेतुका लगे मगर ऐसा भी देखा गया है कि अगर कोर्ट थोड़ा और वक़्त लगाती तो शायद हत्या के दोषी खुद मर गए होते।