राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गुरुवार को ऐतिहासिक जंतर मंतर क्षेत्र में सभी तरह के प्रदर्शन और धरनों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। एनजीटी ने कहा है कि गाय संरक्षण के नाम पर गौवंश और बैलगाड़ी लाना जंतर मंतर क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए मुश्किलों का सबब बनता है। प्रदर्शन स्थल प्रदर्शनकारियों के लिए जंग का मैदान बन गया है।
न्यायमूर्ति आर एस राठौर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि क्षेत्र प्रदर्शनकारियों द्वारा गंदगी फैलाने की स्थायी जगह बन गया है। नयी दिल्ली नगर पालिका परिषद और पुलिस जैसी निकाय संस्थाएं जंतर मंतर और इसके आस पास साफ सफाई रखने में नाकाम रही है। वे इलाके के लोगों के लिए शांतिपूर्ण और सहज जीवन सुनिश्चित करने में भी नाकाम रहे हैं।
पीठ ने कहा कि कुछ ऐसे प्रदर्शनकारी हैं जो गाय संरक्षण के नाम पर जंतर मंतर रोड पर बैलगाड़ियों के साथ गायों को लेकर आते हैं। जिससे बाशिंदों के लिए समस्या बढ़ जाती है।
अधिकरण ने कहा कि प्रदर्शनकारियों द्वारा इस क्षेत्र का लगातार इस्तेमाल वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1981 समेत पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन है। उसने कहा कि इसके आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को शांतिपूर्ण और आरामदायक ढंग से रहने का अधिकार है और उनके आवासों पर प्रदूषण मुक्त वातावरण होना चाहिए।
एनजीटी वरुण सेठ और अन्यों द्वारा दाखिल एक याचिका की सुनवाई कर रही थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि जंतर मंतर पर सामाजिक समूहों, राजनीतिक पार्टियों, एनजीओ द्वारा किये जाने वाले आंदोलन और जुलूस क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत हैं।
याचिका में कहा गया था कि नियमित रूप से प्रदर्शन, शांतिपूर्ण ढंग से और स्वस्थ वातावरण में जीने के अधिकार, शांति के अधिकार, नींद लेने के अधिकार और सम्मान के साथ जीने के अधिकार का उल्लंघन है।