हरदोई, एक ओर केंद्र की मोदी व प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार हटाने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं तो वंही दूसरी ओर भ्रष्टाचारियों को पनाह देकर अधिकारी सरकार के दावे में पलीता लगा देते हैं। मोदी व योगी सरकार के भ्रष्टाचार दूर करने के दावे की हवा इस बार निकाली है बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात लिपिक मनोज मिश्र ने। मनोज मिश्रा पर 72825 शिक्षक भर्ती घोटाले में फर्जी नियुक्तियां करन का गंभीर आरोप है जिसकी जांच निदेशालय द्वारा गठित कमेटी की ओर से की जा चुकी है लेकिन निदेशालय की जांच भ्रष्टाचार की रेत से बने महल के चलते समय से पहले ही दम तोड़ गयी। कुछ समय पूर्व फर्रुखाबाद जिले की पुलिस द्वारा एक दलाल देवेंद्र उर्फ श्यामू प्रजापति को गिरफ्तार किया गया था जिसने पुलिस पूछताछ में डायट के बाबू दयाशंकर मिश्रा व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी हरदोई के कार्यालय में तैनात मनोज मिश्रा और अनुपम मिश्रा के द्धारा 5 लाख रुपये लेकर फर्जी नियुक्तियां कराने की बात कबूली थी। फर्जी नियुक्तियों के मामले में जिले के तीन अधिकारियों के नाम आने के बाद 15 सितंबर को डायट के बाबु दयाशंकर मिश्रा व संयुक्त शिक्षा निदेशक के निर्देश पर बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से 18 सितम्बर को मनोज मिश्रा को निलम्बित कर दिया गया था लेकिन इतना सब हो जाने के बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात बड़े अधिकारियों ने खुद की गर्दनें फंसती देख एक और भ्रष्ट बाबू अनुपम मिश्रा पर कोई कार्यवाही नही की।
फर्जी नियुक्ति करने के मामले में निलम्बित किए गए भ्रष्ट बाबू मनोज मिश्रा को बचाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया और आखिरकार 18 सितम्बर को किया गया मनोज का निलंबन रदद् कर उसे बहाल कर दिया। 22 सितम्बर को शिक्षा निदेशक बेसिक उ0प्र0 शिक्षा नियुक्ति ने अपने पत्रांक-नियुक्ति-1(बेसिक)/7159/2017-18 के माध्यम से यह कहकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश देते हुए भ्रष्ट बाबू मनोज मिश्रा के निलम्बन को यह कहकर रदद् करने के आदेश दिए कि प्रशिक्षु शिक्षक चयन/नियुक्ति 2011 के प्रकरण में बीएसए द्वारा पूर्व में लिपिक मनोज मिश्रा पर अनुशासनिक कार्यवाही कर दंडित किया जा चुका है, अतः उन्हें संयुक्त शिक्षा निदेशक के द्वारा फिर से निलम्बित किया जाना न्यायसंगत नही है और सिद्धांत के विपरीत है। 22 सितम्बर को शिक्षा निदेशक बेसिक के पत्र पर मनोज मिश्रा का निलम्बन तत्काल समाप्त कर उसे उसी तारीख में बहाल भी कर दिया गया है। भ्रष्ट बाबूओं को बचाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की तत्परता देखते बनती है जंहा एक ओर विभाग के भ्रष्टाचारियों के कॉकस ने मनोज मिश्रा को कार्यवाही होने के बाद भी बचा लिया तो वंही दूसरी भ्रष्ट बाबू अनुपम मिश्रा पर किसी प्रकार की कार्यवाही ना कर उसे अभय दान देने का काम कर दिया। अब आगे देखना है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्यवाही की बड़ी बड़ी डींगे हांकने वाली सरकार व पार्टी भ्रष्टतंत्र की धुरी बने इन बाबुओं पर कोई कार्यवाही करा पाती है या नही, या फिर यह भ्रष्ट सरकारी बाबू भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस अपनाने की बात करने वाली भाजपा की योगी व मोदी सरकार में भी यूँही फलते फूलते रहेंगे।