इलाहबाद हाई कोर्ट ने एक विवाहित महिला द्वारा दूसरे धर्म के पुरुष से शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन के मामले में सुनवाई करते हुए अहम फैसला दिया है। इस फैसले में कोर्ट ने साफ़ कहा कि किसी भी विवाहित पुरुष या स्त्री द्वारा दूसरी शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना वैध नही मान जा सकता है। साथ ही ऐसी शादी की कानून की नज़र में कोई मान्यता नही है।
जौनपुर की एक महिला खुशबु तिवारी पहले से शादीशुदा है। इस दौरान वो जौनपुर के ही एक युवक अशरफ के संपर्क में आ गई। जिसके बाद खुशबु ने पहली शादी से तलाक लिए बिना अशरफ से शादी कर ली। इस दौरान उसने धर्म परिवर्तन कर अपना नाम खुशबु बेगम भी रख लिया। इस बीच अशरफ की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई। याचिका में कहा गया की दोनों बालिग़ हैं साथ उन्होंने अपनी मर्ज़ी से शादी की है।
यही नहीं याचिका में उन्होंने ये भी बताया की उनकी शादी से परिवार के लोग खुश नही हैं। साथ ही उन्हें अपने परिवार वालों से जान का खतरा है। बता दें कि अशरफ की तरफ से दाखिल की गई इस याचिका का विरोध अधिवक्ता विनोद मिश्र द्वारा किया गया। सुनवाई के दौरान विनोद मिश्र ने कोर्ट को ये भी बताया कि इन दोनों के खिलाफ जौनपुर में NCR दर्ज है। इस दौरान उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट में नूरजहाँ बेगम और अंजलि मिश्रा केस का हवाला भी दिया। जिसके बाद न्यायमूर्ती एमएस त्रिपाठी ने इन शादी को अमान्य करार दे दिया।