आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने नोटबंदी को लेकर एक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मैंने इस्तीफा नहीं दिया था बल्कि मेरा समय खत्म हो गया था। टीवी चैनल को दिये गये इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उन्हें केंद्र सरकार के नोटबंदी के कदम की कोई जानकारी नहीं थी और यही कारण है कि उन्हें तो खुद नोट बदलवाने के लिए अमेरिका से भारत वापस आना पड़ा था।
राजन ने कहा कि वह काम करने के लिए तैयार थे, उन्होंने दोबारा वापसी की इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि बैंकिंग सेक्टर में सुधार के लिए अभी बहुत से काम होने बाकी हैं। उन्होंने कहा कि वे कभी भी नोटबंदी के पक्ष में नहीं रहे क्योंकि उनका मानना था कि नोटबंदी की तात्कालिक लागत इसके दीर्घकालिक फायदों पर भारी पड़ेगी। राजन ने कहा कि जीडीपी वृद्धि को बल देने के लिए भारत को तीन क्षेत्रों बुनियादी ढांचा, बिजली व निर्यात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
राजन ने जेपी मॉर्गन संस्था के हवाले से कहा कि नोटबंदी की वजह से GDP में एक-दो प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और RBI को भी दबाव सहन करना पड़ा। इस वजह से करीब 2 लाख करोड़ का नुकसान हुआ वहीं टैक्स की वजह से केवल 10 हजार करोड़ की आय हुई।
राजन ने इंटरव्यू में कहा कि नोटबंदी की वजह से जीडीपी में 1-2 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। आरबीआई को नोटबंदी का भार झेलना पड़ा। उन्होंने कहा कि अगर जेपी मॉर्गन जैसी संस्थाओं के आंकलन पर भरोसा करें तो नोटबंदी की वजह से 1-2 प्रतिशत जीडीपी के बराबर नुकसान हुआ है, जो कि लगभग 2 लाख करोड़ के आसपास है।
गौरतलब है कि गवर्नर पद पर राजन का तीन साल का कार्यकाल चार सितंबर 2016 को पूरा हो गया।