आज भगवान गणेश जी का विसर्जन होगा। इस बार गणपति ने अपने भक्तों के साथ 10 दिन नहीं बल्कि 11 दिन बिताए हैं। हर साल गणपति अपने जन्मदिन यानी कि गणेश चतुर्थी पर अपने भक्तों के घर पधारते हैं और अनन्त चतुर्दशी के दिन चले जाते हैं। भगवान गणेश जल तत्व के अधिपति हैं और यही कारण है कि अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना कर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि विधिपूर्वक विसर्जन करने वाले जातकों को गणेश जी मनचाहा वरदान देते हैं।
विसर्जन का मुहूर्त-
दोपहर 1 बजे से 2:20 बजे तक
दोपहर 3:30 बजे से रात 8 बजे तक
विसर्जन के नियम-
सबसे पहले जिस तरह से आप पूजा कर रहे हैं, विसर्जन से पहले भी उसी तरह से भगवान गणेश जी की पूजा करें।
– मोदक, फल का भोग लगाएं।
– भगवान गणेश जी की आरती करें।
– भगवान गणेश जी से विदा होने की प्रार्थना करें।
– पूजा स्थान से गणपति की प्रतिमा को उठाएं, किसी दूसरे लकड़ी के पटे पर रखें साथ में फल, फूल, वस्त्र, मोदक और दक्षिणा रखें।
– एक कपड़े में थोड़े चावल, गेहूं और पंचमेवा रखकर पोटली बनाएं, उसमें कुछ सिक्के भी डाल दें।
– उस पोटली को गणेश जी की प्रतिमा के पास रख दें।
– साफ पानी में गणेश जी का विसर्जन करें।
जल में विसर्जन-
गणेश जी की छोटी मूर्ति का विसर्जन आप अपने घर में ही कर सकते हैं। इसके लिए बड़े टब में साफ पानी भरें और उसमें गणेश जी का विसर्जन कर दें। कुछ दिन तक टब में पानी और मूर्ति को रहने दें और फिर किसी पेड़ के नीचे उस जल को छोड़ दें।
भूमि विसर्जन-
यदि आपके गणेश जी की मूर्ति बड़ी है, तो आप किसी खाली जमीन या पार्क में बड़ा गड्डा बना कर गणेश जी मूर्ति का भूमि विसर्जन कर सकते हैं। इससे नदी, तालाब में जल प्रदूषण नहीं बढ़ेगा।
गमले में-
यदि आपके गणेश जी की प्रतिमा छोटी है, तो आप फूल वाले गमले में रखकर भी गणपति का विसर्जन कर सकते हैं। प्रतिमा पर हर दिन जल चढ़ाएं। धीरे-धीरे करके गणेश जी की प्रतिमा मिट्टी में लीन हो जाएगी।