सुप्रीम कोर्ट में आज लोकपाल की नियुक्ति को लेकर दाखिल याचिका पर अहम सुनवाई हुई, इस सुनवाई के वक़्त केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि वर्तमान हालात में लोकपाल की नियुक्ति होना संभव नहीं है, इस बिल में अभी कई सारे संशोधन होने बाकि हैं, जो इस वक्त संसद में लंबित हैं।
लोकपाल नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रखा है। केंद्र सरकार ने लोकपाल नियुक्ति के मामले में कहा कि मल्लिकार्जुन खडगे नेता विपक्ष नहीं हैं। केंद्र ने कहा, ‘कांग्रेस ने नेता विपक्ष का दर्जा मांगा था, मगर स्पीकर ने खारिज कर दिया था। इससे पहले भी ऐसा हुआ है जब संसद में नेता विपक्ष ना हो।’
केंद्र ने कहा कि इस संबंध में सबसे बडी पार्टी के नेता को शामिल करने संबंधी संशोधन मानसून सत्र में पास होने की उम्मीद है। ये मामला न्यायपालिका में नियुक्ति का नहीं है बल्कि लोकपाल की नियुक्ति का है। केंद्र ने कहा, ‘न्यायपालिका को अधिकारों के बंटवारे का सम्मान करना चाहिए और संसद को ये निर्देश जारी नहीं करने चाहिए कि लोकपाल की नियुक्ति करे। ये संसद की बुद्धिमता पर निर्भर है कि वो बिल पास करे।’ आपको बता दें कि संसद में लोकपाल बिल में करीब 20 संशोधन लंबित हैं। लोकपाल बिल में 2014 में संशोधन प्रस्ताव लाया गया था, मगर स्टैंडिंग कमेटी ने एक साल ले लिया।
पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि लोकपाल की नियुक्ति को लेकर लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल को नेता प्रतिपक्ष करार देना ही एकमात्र हल नहीं है। सरकार ने कहा था कि इसके साथ ही कुछ अन्य हल हैं।
केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया था कि इस मसले पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट पर गौर कर रही है। जिस पर कोर्ट ने कहा था कि हम यह जानना चाहते हैं कि सरकार लोकपाल कानून में क्या बदलाव लाना चाहती है।
कोर्ट कॉमन काउज नाम गैर सरकारी संगठन की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने कहा कि अदालत को इस मामले में दखल देना चाहिए और सबसे बड़े विपक्षी दल को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा भी दे देना चाहिए।आपको बता दें कि लोकपाल की चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, विपक्ष के नेता, भारत के प्रधान न्यायाधीश या नामित सुप्रीम कोर्ट के जज और एक नामचीन हस्ती के होने का प्रावधान है।