उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में फ्लैट और मकान खरीदना सस्ता हो सकता है। निबंधन और स्टांप विभाग की ओर से सुपर एरिया के बजाए कारपेट एरिया के आधार पर रजिस्ट्री करने का प्रस्ताव शासन के पास भेजा है। शासन से हरी झंडी मिलते ही कारपेट एरिया के आधार पर रजिस्ट्री शुरू हो सकती है।
नोटबंदी के बाद ठंडे पड़े प्रापर्टी कारोबार के चलते कम हो रहे बैनामों को देखते हुए निबंधन विभाग की ओर से प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके तहत फ्लैट में स्टांप ड्यूटी और स्टांप शुल्क में सुपर एरिया को छोड़ दिया जाएगा। अपार्टमेंट की लाबी, सेट बैक, सीढ़ियों के नीचे का स्पेस, लिफ्ट के पास का स्पेस, दीवारों की चौड़ाई आदि का एरिया सुपर एरिया में आएगा, जिसे रजिस्ट्री के दौरान छोड़ दिया जाएगा।
एक फ्लैट में औसतन 18 से 20 प्रतिशत तक सुपर एरिया होता है। अब तक बिल्डर फ्लैट या मकान की रजिस्ट्री में सुपर एरिया को भी शामिल कर पैसा लेते थे। लेकिन अब यदि यह प्रस्ताव मान लिया गया, तो इस तरह रजिस्ट्री कराने में इतने क्षेत्रफल की स्टांप ड्यूटी और शुल्क से छूट प्राप्त होगी। निबंधन विभाग के इस प्रस्ताव को अगर शासन ने हरी झंडी दिखा दी तो उपभोक्ताओं के साथ-साथ बिल्डरों को भी राहत मिलेगी।
निबंधन एवं स्टांप विभाग के एआइजी एसके त्रिपाठी के अनुसार विभाग की कोशिश है कि अधिक से अधिक बैनामा हो ताकि राजस्व की प्राप्ति के अलावा बिना रजिस्ट्री कराए फ्लैटों में काबिज लोगों को भी राहत मिल सके।
निबंधन विभाग ने बीते दिनों एक सर्वे में पाया था कि राजधानी में करीब ढाई से तीन हजार फ्लैट ऐसे हैं, जिनमें लोग बिना रजिस्ट्री कराए ही बिल्डर से सहमति के आधार पर कब्जा लेकर रह रहे हैं। निबंधन विभाग के अफसरों का कहना है कि कारपेट एरिया के आधार पर रजिस्ट्री की अनुमति मिलने के बाद बैनामों की संख्या में इजाफा होगा।