पश्चिम बंगाल में पिछले दिनों एक अभियान के तहत सशत्र सीमा बल की 17वीं बटालियन फ़ोर्स ने ”5 टोके गेको (छिपकली की एक दुर्लभ प्रजाति )” की तस्करी का खुलासा किया है। छिपकली की इस दुर्लभ प्रजाति का उपयोग मुख्य रूप से मर्दानी शक्ति वर्धक दवाइयाँ बनाने में किया जाता था।
ख़बरों के मुताबिक़ गेको छिपकली की मदद से एड्स और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों के लिए भी दवाइयाँ बनाई जाती है। इस प्रकार की दवाइयाँ बनाने वाली गिरोह का दावा है कि इस छिपकली के मांस से बनाई गयी दवाएं बाकी दवाइयों के मुकाबले अधिक असरदार होती है।
सुरक्षा बलों ने इस ख़ास प्रकार की छिपकली की अवैध तस्करी करने के जुर्म में ”टीकन बर्मन ” नामक गिरोह को गिरफ्तार किया है। जिनके पास कई गुना की तादाद में टोके गेको नामक छिपकली की प्रजाति मिली है।
टोके गीको एक दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजाति है, वर्तमान समय में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस प्रजाति की बहुत बड़ी मांग है। तस्कर इसे पकड़कर उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्यों से दक्षिणपूर्व एशियाई देशों में अवैध तस्करी करते हैं।
इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पूर्वोत्तर भारत, फिलीपींस तथा नेपाल समेत अधिकांश दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में इसकी बेहद मांग है में पाई जाने वाली इस छिपकली की कीमत एक करोड़ रुपये तक बताई जाती है।
सशत्र सीमा बल भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमा पर तैनात है। इसके अलावा एसएसबी कई वन्यजीव अभयारण्य की सुरक्षा भी करती है। इन वन क्षेत्रों में कुल 120 बाहरी सीमा चौकी स्थित हैं। इसलिए तस्कर और शिकारियों से वन्य जीवों की सुरक्षा, जवानों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.
गिरफ्तार तस्कर और जब्त टोके गेको की खास प्रजाति को फिलहाल के लिए दक्षिण रैधक के वन रेंज अधिकारियों को को सौंप दिया गया।
सिर्फ इसी साल ही अवैध तस्करी के 65 मामलें सामने आये हैं जिनमें 70 से अधिक तस्करों को गिरफ्तार किया गया है।