डोकलाम को लेकर बढ़ते जा रहे विवाद के चलते चीनी सेना ने युद्ध अभ्यास किया है। चीनी मीडिया का दावा है कि चीन की सेना PLA ने बॉर्डर से कुछ ही दूरी पर ने टैंक और हेलिकॉप्टर के साथ युद्धाभ्यास किया है।
चीन के चाइना सेंट्रल टेलिविजन (CCTV) की रिपोर्ट के मुताबिक PLA की 10 यूनिट जिसमें एविएशन यूनिट भी शामिल रही थी, उन्होंने ड्रिल ऑपरेशन में हिस्सा लिया है। यह ड्रील करने वाली PLA की वेस्टर्न थिएटर कमांड ने किया है। जोकि भारत के आस-पास वाले बॉर्डर की जिम्मेदार है। चीनी मीडिया में इस तैयारी का एक वीडियो भी चल रहा है, जोकि 5 मिनट का है। इस वीडियो में कई टैंक लगातार चल रहे हैं और हेलिकॉप्टर से गोलियां बरसाई जा रही हैं।
आपको बताते चलें कि 15 अगस्त को लद्दाख की पेंगोंग झील में घुसपैठ कि कोशिश में नाकाम होते देख चीनी सैनिकों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी थी। पत्थरबाजी से दोनों तरफ के सैनिकों को हल्की चोटें आने की खबर भी आई थी। पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिक दो इलाकों फिंगर फोर और फिंगर फाइव में सुबह 6 से 9 बजे के बीच भारत की सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे थे, मगर दोनों ही मौकों पर भारतीय जवानों ने उनकी कोशिशों को असफल कर दिया था। जब चीनी सैनिकों ने देखा कि उनकी कोशिशें असफल हो गई हैं, तब उन्होंने भारतीय सैनिकों पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। इसके जवाब में भारतीय जवानों ने भी पत्थर फेंके। घटना के कुछ देर बाद स्थिति नियंत्रण में आ गई थी।
डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच पिछले करीब दो महीनों से तनातनी जारी है। डोकलाम क्षेत्र सिक्किम के पास भारत-चीन-भूटान ट्राइजंक्शन पर स्थित है। यह इलाका भूटान की सीमा में पड़ता है, मगर चीन इसे डोंगलोंग प्रांत बताते हुए अपना दावा कर रहा है। चीन ने इस साल जून में जब डोकलाम के पास सड़क बनाने की कोशिशें शुरू की थी, तो भारतीय सैनिकों ने दखल देते हुए उनका काम रुकवा दिया था।
आपको बता दें कि भूटान के साथ हुए समझौते के तहत भारत अपने इस पड़ोसी मुल्क की संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे में उसका दखल देना लाजमी है। वहीं चीन का कहना है कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा है और भारतीय सेना के दखल को ‘अतिक्रमण’ करार दिया है। चीन तब से ही युद्धउन्मादी बयान देते हुए भारत से अपने सैनिक हटाने को कह रहा है।
दरअसल चीन जिस जगह के पास सड़क बना रहा है, वह भारत का ‘चिकन नेक’ कहलाने वाले हिस्से के बेहद करीब स्थित है। उत्तर पूर्वी राज्यों को देश के बाकी हिस्से से जोड़ने वाला यह इलाका महज 20 किलोमीटर चौड़ा है और सामरिक रूप से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण भी है। ऐसे में इस जगह के आसपास चीनी गतिविधि भारत की सुरक्षा के लिहाज से भी खतरनाक है।