जीएसवीएम मेडिकल कालेज संबद्ध अस्पतालों में खून के सौदागर अफसरों के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर खून का सौदा कर रहे हैं। पिछले दस दिन में ऐसे चार मामले सामने आ चुके हैं। गुरुवार को ब्लड बैंक कर्मियों के सहयोग से एक आरोपी को पुलिस ने रंगे हाथों पकड़ा, महप तहरीर न मिलने पर उसे छोड़ दिया गया।
फरुखाबाद के 22 वर्षीय राम किशोर को एलएलआर अस्पताल (हैलट) के सर्जरी वार्ड में बुधवार को भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने तीमारदारों से बी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप मांगा है। परिजन मेडिकल कालेज के ब्लड बैंक पहुंचे, मगर डोनर न होने से उन्हें खून नहीं मिल सका। घरवाले खून के लिए एलएलआर अस्पताल के सामने बनी मार्केट में घूम रहे थे।
इसी बीच एक युवक उन्हें मिला और खुद को ब्लड बैंक कर्मी बता परिजनों से डॉक्टर का पर्चा ले लिया। दो हजार रुपये एक यूनिट ब्लड के लिए तय हुए। युवक कुछ देर बाद लौटा और उसने कहा कि पर्चे पर अधिकारियों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। डोनर की जरूरत नहीं पड़ेगी, खून मिल जाएगा।
घरवाले ब्लड बैंक पहुंचे। वहां मौजूद स्टाफ को हस्ताक्षर में कुछ गड़बड़ी मिली। उन्होंने एलएलआर अस्पताल की वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. रीता गुप्ता और ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. लुबना खान से बात की, तो दोनों ने हस्ताक्षर की बात को नकार दिया। स्टाफ ने पुलिस को सूचना दी। योजना बनाकर ‘खून के सौदागर’ को फोन किया गया। गुरुवार को ब्लड देने की बात तय हुई।
स्वरूप नगर के पेट्रोल पंप के पास पुलिस ने आरोपी को धर दबोच लिया। उसके पास से ब्लड बैंक की रसीदें भी प्राप्त हुई हैं। मगर तीमारदारों ने तहरीर देने से मना कर दिया। ब्लड बैंक के स्टाफ ने भी हाथ खड़े कर दिए। इंस्पेक्टर के अनुसार तहरीर न मिलने पर आरोपी को छोड़ दिया गया।