दुनिया में आज कल हर इंसान किसी न किसी कर्जे के बोझ के तले दबा हुआ है। ज़रूरत और ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए इंसान की आमदनी कम पड़ जाती है इसलिए अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए इंसान दूसरों से कर्ज लेता है। उस कर्ज से उसकी ज़रूरत तो पूरी हो जाती है परन्तु ज़िन्दगी भर के लिए वो कर्ज उस पर बोझ बन जाता है।
ज़िन्दगी में हर इंसान का सिर्फ यही रोना है कि वो अपने कर्जे से उबरना तो चाहता है पर लाख कोशिशों के बावजूद भी अपने कर्जे से पार नहीं पा पाता है। दुःख में ,बुरे वक़्त में एक समय ऐसा आता है जब इंसान को कोई भी रास्ता नहीं नज़र आता है तब उसे सिर्फ भगवान का ही सहारा और ईश्वर का ही आसरा नज़र आता है। फिर भगवान भी अपने भक्त को कष्टों से निजात दिलाने में तनिक भी समय नहीं लगाते हैं।
आज हम आस्था और विश्वास की एक ऐसी पावन स्थली के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में प्रचलित मान्यता है इस मंदिर की दहलीज पर कदम रखने मात्र से ही यहाँ पर आने वाले लोगों को कर्जे और दुखों से मुक्ति मिल जाती है।मध्यप्रदेश राज्य की सबसे प्राचीन नगरी उज्जयनी जो वर्तमान में उज्जैन नाम से प्रसिद्ध है ,इस नगर में ”ऋणमुक्तेश्वर महादेव” नाम का एक पौराणिक मंदिर हैं जिसके बारे में प्रचलित मान्यता है कि इस मंदिर में अगर कोई व्यक्ति यहाँ पूरे विधिविधान से प्रसिद्ध ”पीली पूजा” करवाता है तो बहुत जल्द ही उसे अपने कर्जे से मुक्ति मिल जाती है।
विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर की नगरी उज्जयिनी (उज्जैन) में मंदिरों की इस श्रंखला में ”ऋणमुक्तेश्वर महादेव” मंदिर अति प्राचीन मंदिरों में से एक हैं। ये मंदिर उज्जैन शहर से लगभग 1 किलोमीटर दूर मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के पावन तट पर स्थित है। इस मंदिर में लोगों की इतनी आस्था और ऋणमुक्तेश्वर महादेव पर उनके अटूट विश्वास का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस मंदिर में हर रोज हज़ारों श्रद्धालु दर्शन को आते हैं। अपने कर्जे और दुखों से मुक्ति पाने के लिए भक्त वहां पर ”पीली पूजा” भी करवाते हैं। आपको बता दें कि यहां प्रति शनिवार को पीली पूजा का बड़ा महत्व है। पीली पूजा से तात्पर्य पीले वस्त्र में चने की दाल, पीला पुष्प, हल्दी की गांठ और थोड़ा सा गु़ड़ बांधकर जलाधारी पर अपनी मनोकामना के साथ अर्पित करना है।
इस प्राचीन मंदिर की पौराणिक मान्यता है कि यहाँ एक बार राजा हरिशचंद्र अवंतिका के निरंजन वन में एक वट वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे। राजा हरिशचंद्र इस बात से व्याकुल थे कि उन्हें विश्वामित्र को एक हाथी के भार के बराबर स्वर्ण दान में देना था ,पर ये उनके लिए सम्भव नहीं था क्योंकि उनका राज पाठ तो पहले ही उनसे ले लिया गया था। हालात ये हो गए थे कि उनका पूरा परिवार बिक गया था। ऐसे में जब भोजन का भी प्रबंध नहीं था तो इतना स्वर्ण देना कैसे सम्भव होगा।
हरिशचंद्र इसी दुविधा में थे तभी वहां एक आकाशवाणी हुई जिसके पश्चात सत्यवादी राजा हरीशचंद्र, ऋषि विश्वामित्र को दक्षिणा देकर ऋण मुक्त हुये थे। इसके बाद राजा ने अवंतिका वन में पहुंचकर एक विशाल यज्ञ कराया और शिवलिंग स्थापित किया था।
जिसके फलस्वरूप राजा हरिशचंद्र को अपना यश और वैभव तो प्राप्त हुआ ही साथ ही साथ भगवान शिव ने राजा को यह वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति यहां दर्शन करने के साथ अभिषेक और पीली पूजन करेगा वह ऋण मुक्त तो होगा ही वहीं अन्य सभी तरह की चिंता से भी उसे मुक्ति मिल जायेगी। यदि किसी को ऋण से बहुत परेशानी है तो उसे एक बार उज्जैन आकर ऋण मुक्तेश्वर महादेव की पूजन अर्चन जरूर करना चाहिये।इस मंदिर में लोग अपनी मान्यताओं की पूर्ति के लिए उसी वट वृक्ष में मन्नत लिए कपडा बांधते हैं और मनोकामना पूरी होने पर उस कपडे की गाँठ को खोल देते हैं। यहाँ पर लोगों का विश्वास है कि इस मंदिर में जो भी इंसान सच में पीड़ित है ,दुखी है ,और सच्चे मन से यहाँ आकर पूजा करता है तो उसे उसके ऋण से बहुत जल्द छुटकारा मिल जाता है।
इस मंदिर की आस्था और भक्तों का विश्वास आज भी लाखों लोगों को इसकी दहलीज पर आने के लिए मजबूर कर देता है। ये प्राचीन मंदिर वर्तमान को पुराण से जोड़ता है ,कर्म को धर्म से जोड़ता है। आप भी एक बार इस पौराणिक मंदिर में जाकर यहाँ के चमत्कार और विश्वास के अद्भुत मंज़र के साक्षी बन सकते हैं।