देश के बड़े अमीरों में शुमार, 12 हजार करोड़ रुपए के रेमंड ग्रुप के मालिक विजयपत सिंघानिया आज पैदल घूम रहे हैं। यही नहीं कभी मुकेश अंबानी के एंटीलिया से भी ऊंचे जेके हाउस में रहने वाले 78 साल के अरबपति उद्योगपति को मुंबई की सोसाइटी में किराए पर रहना पड़ रहा है।
विजयपत अपनी इस हालत के लिए अपने बेटे गौतम सिंघानिया को दोषी बता रहे हैं। विजय के अनुसार,’उनके बेटे गौतम ने उन्हें पैसे-पैसे का मोहताज कर दिया है। उन्होंने बेटे के बीच चल रहे प्रॉपर्टी विवाद को लेकर याचिका भी दायर की है।
गौरतलब है कि ये विवाद मालाबार हिल्स में 36 मंज़िले जेके हाउस को लेकर है। इस बिल्डिंग का 2007 में रेनोवेशन हुआ था, जिसके बाद से ही डॉक्टर सिंघानिया और उनके भाई की विधवा पत्नी, उनके बेटे इसमें अपने हिस्से को लेकर पेटीशन फाइल कर चुके हैं।
जेके हाउस 1960 में बना था और तब 14 मंजिला था। बाद में बिल्डिंग के 4 ड्यूप्लेक्स रेमंड की सब्सिडरी पश्मीना होल्डिंग्स को दिए गए थे। उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि सिंघानिया ने कंपनी में अपने सारे शेयर फरवरी 2015 में बेटे के हिस्से में दे दिए थे।
इन शेयर्स की कीमत करीब 1000 करोड़ थी, मगर अब गौतम ने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है। उनसे गाड़ी व ड्राइवर भी छीन लिए हैं। 2007 में कंपनी ने बिल्डिंग को फिर से बनवाने का फैसला लिया।
उसके चार अपार्टमेंट डॉक्टर सिंघानिया और उनके भाई के परिवार के थे, लेकिन उनके बेटे गौतम के ये चारों अपार्टमेंट और अपना अपार्टमेंट सब अपने पास रख लिया, इसके लिए उसने कंपनी के लॉ में एक नया क्लॉज डलवाया कि वो सीईओ है, तो वो ऐसा कर सकता है क्योंकि ये 5 अपार्टमेंट रेमंड के हैं।
दुनियाभर में शूटिंग और शर्टिंग के लिए मशहूर रेमंड की नींव 1925 में रखी गई थी। इसका पहला रिटेल शोरूम 1958 में मुंबई में खुला था। विजयपत ने कंपनी की कमान 1980 में संभाली थी।
विजयपत ने रेमंड्स को एक ब्रांड के तौर पर स्थापित करने में बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने 1986 में प्रीमियम ब्रांड पार्क एवेन्यू लांच किया है। फैशनेबल ड्रेस और नई स्टाइल चाहने वाले पुरुषों के लिए कंप्लीट वार्डरोब रेंज उपलब्ध करवाई है।
उनके नेतृत्व में ओमान में कंपनी का पहला विदेशी शोरूम 1990 में खोला गया। टैक्सटाइल के साथ ही उन्होंने इंजीनियरिंग और एविएशन बिजनेस में भी हाथ आजमाया। 1996 में देश में एयर चार्टर सर्विस शुरू की।
स्पोर्ट स्पिरिट रखने वाले विजयपत ने 1988 में लंदन से मुंबई तक अकेले हवाई उड़ान पूरी की थी। विजयपत को पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है। इन्होंने ‘एन एंजल इन ए कॉकपिट’ शीर्षक से किताब भी लिखी है।