पांचवे माह भादों के कृष्ण पक्ष की तीज को कजरी तीज के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन शादीशुदा महिलाएं और कुंवारी लड़कियां व्रत रखती हैं, जोकि उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस दिन पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। कजली तीज के दिन घर में झूला डाला जाता है और औरतें इसमें झूला झूलती हैं। इस दिन महिलाएं अपनी सहेलियों के साथ इकट्ठा होती हैं, पूरा दिन नाच गाना करती हैं। औरतें अपने पति के लिए और कुंवारी लड़कियां अच्छा पति पाने के लिए व्रत रखती हैं।
पूजा विधि-
- इस दिन, पूरे दिन उपवास रखना चाहिए तथा श्रृंगार करना चाहिए।
- श्रृंगार में मेहंदी और चूड़ियों का जरूर प्रयोग करना चाहिए।
- सायं काल शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना करनी चाहिए।
- वहां पर घी का बड़ा दीपक जलाना चाहिए।
- सम्भव हो तो मां पार्वती और भगवान शिव के मन्त्रों का जाप करें।
- पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
- इस दिन काले और सफेद वस्त्रों का प्रयोग करना वर्जित माना जाता है, हरा और लाल रंग सबसे ज्यादा शुभ होता है।
गाय की होती है पूजा-
इस दिन गेहूं, चना और चावल को सत्तू में मिलाकर पकवान बनाएं जाते हैं। व्रत शाम को सूरज ढलने के बाद छोड़ते हैं। इस दिन विशेष तौर पर गाय की पूजा की जाती है। आटे की रोटियां बनाकर उस पर गुड चना रखकर गाय को खिलाया जाता है। इसके बाद व्रत तोड़ा जाता है।