अमेरिका ने अपने व्यापार कानून के एक प्रावधान का अब तक काफी कम इस्तेमाल किया है, मगर चीन के व्यापार करने के उल्टे-सीधे तरीकों से निपटने के लिए ट्रंप प्रशासन को अब उसका सहारा लेना पड़ेगा। अमेरिकी मीडिया के अनुसार प्रशासनिक अधिकारी चीन द्वारा उत्तर कोरिया के परमाणु और बलिस्टिक प्रोग्राम से आंखें मूंद लेने की वजह से बेहद नाराज हैं। इसके चलते अगले कुछ दिनों में वॉशिंग्टन और पेइचिंग के संबंधों में खटास आ सकती है।
द वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, ‘प्रशासन अपने कानूनी प्रावधानों से यह जांच करेगा कि चीन की इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी पॉलिसी में व्यापार करने के अनुचित तरीके शामिल तो नहीं हैं।’ अमेरिका के ट्रेड ऐक्ट ऑफ 1974 के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति के पास यह अधिकार है कि यदि कोई देश व्यापार के गलत तरीकों (अनफेअर ट्रेड प्रेक्टिस) से अमेरिकी बाजार को नुकसान पहुंचाता है, तो राष्ट्रपति उस पर टैरिफ और अन्य प्रतिबंध लगा सकता है। इस प्रावधान के इस्तेमाल से अमेरिका चीनी निर्यातकों पर सैंक्शन लगा सकेगा। इस तरह से अमेरिकी टेक्नॉलजी को चीन जाने से भी रोका जा सकेगा।
वॉल स्ट्रीट के अनुसार पिछले कई साल में चीन के व्यापार और मार्केट तक पहुंच के प्रति अमेरिकी व्यापारियों में बहुत ही ज्यादा गुस्सा है। व्यापारी अमेरिकी सरकार से चीन की व्यापारिक गतिविधियों के प्रति कड़ा कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। वॉल स्ट्रीट का कहना है कि कई संगठनों ने यह शिकायत की है कि ट्रंप प्रशासन ने इंटलेक्चुअल प्रॉप्रटी जैसे क्षेत्रों पर कोई ध्यान नहीं दिया है। उनका आरोप है कि सरकार का ध्यान चीन और अमेरिका के बीच पिछले साल हुए 347 बिलियन ट्रेड सर्पलस पर है।