बवासीर या पाइल्स मनुष्य में होने वाली एक खतरनाक बीमारी है। आम भाषा में इसे खूनी और बादी बवासीर के नाम से भी जाना जाता है। खूनी बवासीर में किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है, इसमें केवल पाखाने के रास्ते खून आने लगता है। पाखाने के रास्ते के अंदर मस्सा होता है जो अंदर की तरफ होता है और मल त्याग के समय बाहर आने लगता है फिर अंदर चला जाता है। आखरी स्टेज में इसे हाथ से दबाने पर भी अंदर नहीं जाता। बादी बवासीर रहने पर पेट खराब रहता है व कब्ज का बना रहना तथा गैस बनी रहती है। बवासीर की बीमारी में मल के कड़े होने पर पखाने के रास्ते से खून भी आ सकता है। इसके कारण मल द्वार पर कभी कभी घाव भी हो जाता है इससे जलन और पीड़ा होती है।
बवासीर बहुत पुराना होने पर भगंदर हो जाता है इसे अंग्रेजी में फिस्टुला भी कहते हैं। बवासीर जब अपने आखरी समय पर आ जाता है तो यह कैंसर का रूप ले लेता है जिसको रिक्टम कैंसर कहते हैं और अगर समय से इलाज ना किया जाए तो यह जानलेवा साबित होता है। अक्सर कब्ज रहने के कारण भी बवासीर होता है। कब्ज की वजह से मल का सूख जाना, कठोर हो जाना व मल त्याग के वक्त रोगी को काफी वक्त का उकड़ू बैठे रहना पड़ता है। जिससे रक्तवाहिनियों पर जोर पड़ता है और वह फूल कर अटक जाती है।
आयुर्वेद में बवासीर से बचाव के बहुत से उपाय बताए गए हैं जिनको अपनाकर बवासीर से बचाव किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले कब्ज को त्याग कर मलत्याग की प्रक्रिया को सामान्य और नियमित करना आवश्यक है। इसके लिए तरल पदार्थों, हरी पत्तेदार सब्जियों और फलों का बहुतायत सेवन करना चाहिए। बवासीर के रोगी को तली हुई चीजें व मिर्च मसाले युक्त गरिष्ठ भोजन ना दें। रात में सोते समय एक गिलास पानी में ईसबगोल की भूसी दो चम्मच डालकर पीने से बवासीर में काफी लाभ होता है। आधुनिक युग में बवासीर के मस्सों का शल्य चिकित्सा द्वारा भी इलाज किया जाता है लेकिन इसके लिए आपको किसी अच्छे शल्य चिकित्सक की सलाह लेनी होगी। बवासीर के रोगी को चाहिए कि वह प्रतिदिन सुबह एक गिलास गुनगुना पानी पिए जिसके कारण कब्ज दूर हो जाती है और पेट साफ रहता है। बवासीर के रोगी को चाहिए कि नीम का तेल मस्सों पर लगायें और 4-5 बूंद रोज पीयें इससे काफी लाभ होता है। बवासीर के रोगी पूरे दिन पानी की जगह मठठा पिएं करीब 15 दिन बाद मस्से अपने आप ठीक हो जाएंगे। बवासीर के उपचार के लिए कई अन्य आयुर्वेदिक औषधियां हैं जिनमें अर्श कुमार रस,अष्टांग रस तथा बोलबद्ध रस व पंचानन वटी औषधियों का प्रयोग कर बवासीर को रोका जा सकता है। तुलसी पाइल्स में बहुत लाभदायक है। तुलसी के बीज को पीसकर पाइल्स की जगह लगाने पर दर्द से राहत मिलती है व उसके बीज के पाउडर को सुबह शाम सेवन करने से पेट साफ रहता है। इन छोटे-मोटे आयुर्वेदिक नुस्खों को अपनाकर पाइल्स या बवासीर से आप अपना बचाव कर सकते हैं।