राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच जमकर माइंड गेम चल रहा है। एनडीए की तरफ से पहले दलित नेता रामनाथ कोविंद का नाम घोषित किया, तो जवाब में विपक्ष ने भी मीरा कुमार के रूप में दलित चेहरा सामने रख दिया।
अब बारी आई है उप-राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को लेकर तो इस बार पहले उम्मीदवार घोषित करने की पहल विपक्ष की तरफ से हुई है। विपक्ष ने महात्मा गांधी के पौत्र गोपाल कृष्ण गांधी को उप-राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है।
कौन हैं गोपालकृष्ण गांधी?
गोपालकृष्ण गांधी का जन्म 22 अप्रैल 1945 को हुआ था। वह देवदास गांधी और लक्ष्मी गांधी के बेटे हैं। सी राजगोपालचारी उनके नाना थे। सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में एमए की डिग्री हासिल करने के बाद गोपालकृष्ण गांधी ने 1968 से 1992 तक एक आइएस अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दीं। साल 2004 से 2009 के बीच जब वो बंगाल के गवर्नर थे, उस वक्त बंगाल अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा था। उस वक्त बंगाल में लेफ्ट की जड़ें उखड़ रहीं थी और ममता बनर्जी लगातार लोकप्रिय हो रही थी। ऐसे में गोपालकृष्ण गांधी ने अपनी छवि ऐसी बनाई कि दोनों ही दल उनके पास बात करने आते थे।
सिंगूर मामले को सुलझाने के लिए गोपालकृष्ण गांधी ने बुद्धदेव भट्टाचार्य और ममता बनर्जी को बातचीत की टेबल पर लाने का काम किया। उस वक्त इन दो धुर विरोधी नेताओं को साथ लाना किसी चुनौती से कम नहीं था।
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गोपालकृष्ण गांधी ने अपनी पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से की। उन्होंने यहां से इंग्लिश लिटरेचर की पढ़ाई की। आईएएस बनने के बाद 1980 के शुरूआती दशकों तक उन्होंने तमिलनाडू में नौकरी की। 1985 से 1987 तक वो उप-राष्ट्रपति के सेकेट्री पद पर काम करते रहे। अगले पांच सालों तक उन्होंने राष्ट्रपति के सचिव के तौर पर काम किया।
रिटायर होने के बाद साल 1992 से 2003 तक उन्होंने कई मत्वपूर्ण पद संभाले। उन्हें साउथ अफ्रीका में भारतीय हाई कमिश्नर बनाकर भेजा गया। इसके बाद 1997 से 2000 तक वो राष्ट्रपति के सचिव रहे। साल 2000 में उन्हें श्रीलंका में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया। साल 2002 में उन्हें नार्वे और आइसलैंड का राजदूत बनाया गया। गोपालकृष्ण गांधी और उनकी पत्नी तारा गांधी की दो बेटियां हैं।